हिन्दी साहित्य ☆ दीपिका साहित्य # 5 ☆ सहेली ☆ सुश्री दीपिका गहलोत “मुस्कान”
सुश्री दीपिका गहलोत “मुस्कान”
( हम आभारीसुश्री दीपिका गहलोत ” मुस्कान “ जी के जिन्होंने ई- अभिव्यक्ति में अपना” साप्ताहिक स्तम्भ – दीपिका साहित्य” प्रारम्भ करने का हमारा आगरा स्वीकार किया। आप मानव संसाधन में वरिष्ठ प्रबंधक हैं। आपने बचपन में ही स्कूली शिक्षा के समय से लिखना प्रारम्भ किया था। आपकी रचनाएँ सकाळ एवं अन्य प्रतिष्ठित समाचार पत्रों / पत्रिकाओं तथा मानव संसाधन की पत्रिकाओं में भी समय समय पर प्रकाशित होते रहते हैं। हाल ही में आपकी कविता पुणे के प्रतिष्ठित काव्य संग्रह “Sahyadri Echoes” में प्रकाशित हुई है। आज प्रस्तुत है आपकी पुरानी स्मृतियों को संजोती अतिसुन्दर कविता सहेली । आप प्रत्येक रविवार को सुश्री दीपिका जी का साहित्य पढ़ सकेंगे।
☆ दीपिका साहित्य #5 ☆ सहेली ☆
आज तुम सयानी हो गयी ,
सब की आंखों की प्यारी हो गयी ,
बचपन बिताया साथ हमनें ,
अब वो बीते जमाने की कहानी हो गयी ,
खेले कूदे संग गली गलियारों में ,
अब वो सब परायी हो गयी,
कूदा-फांदी मस्ती-झगड़े के किस्से अपने ,
अब समझदारी में तब्दील हो गयी ,
पकड़म-पकड़ाई आधी नींद की जम्हाई,
सब अब यादों के पिटारा हो गयी ,
नए दोस्त बना लेने पर रूठना मनाना ,
वो छोटी नादानियाँ हंसी का पात्र हो गयी ,
खुश हैं आज बीते सुनहरे किस्से सोच कर ,
खुश रहों सदा यही हमारी जुबानी हो गयी ,
आज तुम सयानी हो गयी ,
सब की आंखों की प्यारी हो गयी .
© सुश्री दीपिका गहलोत “मुस्कान ”
पुणे, महाराष्ट्र