सुश्री दीपिका गहलोत “मुस्कान”

( हम आभारीसुश्री दीपिका गहलोत ” मुस्कान “ जी  के जिन्होंने ई- अभिव्यक्ति में अपना” साप्ताहिक स्तम्भ – दीपिका साहित्य” प्रारम्भ करने का हमारा आगरा स्वीकार किया।  आप मानव संसाधन में वरिष्ठ प्रबंधक हैं। आपने बचपन में ही स्कूली शिक्षा के समय से लिखना प्रारम्भ किया था। आपकी रचनाएँ सकाळ एवं अन्य प्रतिष्ठित समाचार पत्रों / पत्रिकाओं तथा मानव संसाधन की पत्रिकाओं  में  भी समय समय पर प्रकाशित होते रहते हैं। हाल ही में आपकी कविता “Sahyadri Echoes” में पुणे के प्रतिष्ठित काव्य संग्रह में प्रकाशित हुई है। आज प्रस्तुत है आपकी एक बेहतरीन ग़ज़ल सूखे फूल के पत्ते . . . । आप प्रत्येक रविवार को सुश्री दीपिका जी का साहित्य पढ़ सकेंगे।

 ☆ दीपिका साहित्य #2 ☆ कविता – सूखे फूल के पत्ते . . .☆ 

सूखे फूल के पत्ते उड़ाया करता हूँ मैं,

याद जब भी आती है तस्वीर तेरी बनाया करता हूँ मैं,

रेत के घरोंदे जो बनाये थे हमने साहिल में ,

बेदर्द लहरों से उनको बचाया करता हूँ मैं ,

न जाने कौन सी बात थी तुम में ,

जिसके लिए आज भी  आहें भरा करता हूँ मैं ,

तेरे आने की आहट आज भी है जहन में ,

जिसके लिए तरसा करता हूँ मैं ,

तेरी हंसी की किलकारियां आज भी हैं सहरा में ,

उनके ही सहारे तो जिया करता हूँ मैं ,

तेरा गम जो खाया करता है अकेले में ,

सरी महफ़िल में सबसे छुपाया करता हूँ मैं ,

बदनाम न हो जाए तू ज़माने में ,

इसलिए अजनबी सा गुजर जाया करता हूँ मैं ,

सूखे फूल के पत्ते उड़ाता रहता हूँ मैं,

याद जब भी आती है तस्वीर तेरी बनाया करता हूँ मैं..

 

© सुश्री दीपिका गहलोत  “मुस्कान ”  

पुणे, महाराष्ट्र

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