सुश्री दीपिका गहलोत “मुस्कान”
( हम आभारीसुश्री दीपिका गहलोत ” मुस्कान “ जी के जिन्होंने ई- अभिव्यक्ति में अपना” साप्ताहिक स्तम्भ – दीपिका साहित्य” प्रारम्भ करने का हमारा आगरा स्वीकार किया। आप मानव संसाधन में वरिष्ठ प्रबंधक हैं। आपने बचपन में ही स्कूली शिक्षा के समय से लिखना प्रारम्भ किया था। आपकी रचनाएँ सकाळ एवं अन्य प्रतिष्ठित समाचार पत्रों / पत्रिकाओं तथा मानव संसाधन की पत्रिकाओं में भी समय समय पर प्रकाशित होते रहते हैं। हाल ही में आपकी कविता पुणे के प्रतिष्ठित काव्य संग्रह “Sahyadri Echoes” में प्रकाशित हुई है। आज प्रस्तुत है आपकी अतिसुन्दर शायरियां । आप प्रत्येक रविवार को सुश्री दीपिका जी का साहित्य पढ़ सकेंगे।
☆ दीपिका साहित्य #4 ☆ शायरी ☆
मेरे ख्वाबों ख्यालो में कोई साया लहराया है, न जाने ये कौनसा मौसम आया है,
न जाने कौनसी दिशा में बह रही है हवा, न जाने माझी कौनसी नाँव लाया है,
न जाने ले जाएगा किस किनारे, यही ख्याल जहन में बार बार आया है . . .
जाते जाते वो जर्रा दे गया, पिछली दिवार पे निशां दे गया,
हर पत्ता डाली से ले गया, मुझसे मेरा सुंकू ले गया,
बेज़ार सी हो चली है ज़िंदगी, जैसे बेदर्द ज़िंदगी से रंगो को ले गया . . .
फ़िज़ा महक रही है आज, हर चिड़िया चहक रही है आज,
तुझसे पहले तेरे आने की खबर जो आयी, हर धड़कन धड़क रही है आज . . .
सुबह की पहली-पहली किरण जब पड़ी मेरे आँगन में,
लगा जैसे उसके आने का आगाज हुआ है जीवन में,
लम्हा-लम्हा गिन रही हूँ उसके इंतज़ार में,
न जाने कब होगा उसका दीदार अब के बरस सावन में . .
© सुश्री दीपिका गहलोत “मुस्कान ”
पुणे, महाराष्ट्र