पुस्तक विमर्श – स्त्रियां घर लौटती हैं
श्री विवेक चतुर्वेदी
( हाल ही में संस्कारधानी जबलपुर के युवा कवि श्री विवेक चतुर्वेदी जी का कालजयी काव्य संग्रह “स्त्रियां घर लौटती हैं ” का लोकार्पण विश्व पुस्तक मेला, नई दिल्ली में संपन्न हुआ। यह काव्य संग्रह लोकार्पित होते ही चर्चित हो गया और वरिष्ठ साहित्यकारों के आशीर्वचन से लेकर पाठकों के स्नेह का सिलसिला प्रारम्भ हो गया। काव्य जगत श्री विवेक जी में अनंत संभावनाओं को पल्लवित होते देख रहा है। ई-अभिव्यक्ति की ओर से यह श्री विवेक जी को प्राप्त स्नेह /प्रतिसाद को श्रृंखलाबद्ध कर अपने पाठकों से साझा करने का प्रयास है। इस श्रृंखला की चौथी कड़ी के रूप में प्रस्तुत हैं श्री गणेश गनीके विचार “विवेक अभिव्यक्ति के लिए नितान्त भिन्न तरह से करना चाहते हैं ” ।)
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☆ पुस्तक विमर्श #7 – स्त्रियां घर लौटती हैं – “विवेक अभिव्यक्ति के लिए नितान्त भिन्न तरह से करना चाहते हैं ” – श्री लीलाधर जगूडी ☆
कविता संग्रह ‘स्त्रियां घर लौटती हैं’ पर हिन्दी के वरिष्ठ कवि व्यास सम्मान से सम्मानित श्री लीलाधर जगूडी जी की टिप्पणी…
विवेक चतुर्वेदी की कविता में सबसे अच्छी बात जो मुझे लगी वह यह कि वे भाषा का प्रयोग सहसा अपनी अभिव्यक्ति के लिए नितान्त भिन्न तरह से करना चाहते हैं और उस भाषा के लिए वे निरंतर अपनी संवेदना को तराशते प्रतीत होते हैं वे अकथ के लिए कोई कथनीय सौंदर्य गढ़ना चाहते हैं तभी तो ‘रात के रफूगर’ और ‘धूप की खीर’ जैसी उक्ति उनकी कविता में पैदा हो सकी है
‘पिता’ कविता में घर के भीतर खंटता- बंटता पिता का प्रेम अनायास उठता है और मुंडेर पर पीपल की तरह फैल जाता है जैसे पिता का छतनार होना ही मुक्ति का उद्घोष हो लेकिन विडम्बना का बिम्ब देखिए जो पिता अम्मा के लिए कनफूल नहीं ला सका वो चुपके से क्यारी में अम्मा की पसंद के फूल खिलाता रहा है
‘मेरे बचपन की जेल’ कविता के पात्र जेल में अच्छा नागरिक नहीं जेलर की नजर में अच्छा कैदी बनने में लगे हैं इस कविता में आए बिम्ब लगभग थर्रा देते हैं यह पृथकता उनकी हर कविता में दिखती है
अभी उनकी कविताओं में कहानी जैसे कथानक ज्यादा हैं और वे कविता की निज भाषा खोजने- संवारने में जुटे लगते हैं मेरी शुभकामनाएं हैं कि वे कविता में काव्य तत्व की और दायित्वपूर्ण सरल भाषा की खोज कर सकें।
– लीलाधर जगूडी
© विवेक चतुर्वेदी, जबलपुर ( म प्र )
ई-अभिव्यक्ति की ओर से युवा कवि श्री विवेक चतुर्वेदी जी को इस प्रतिसाद के लिए हार्दिक शुभकामनायें एवं बधाई।