हिन्दी साहित्य – ☆ लघुकथा ☆ जीत ☆ – डॉ चंद्रेश कुमार छतलानी

डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी

 

(डॉ चंद्रेश कुमार छतलानी जी  लघुकथा, कविता, ग़ज़ल, गीत, कहानियाँ, बालकथा, बोधकथा, लेख, पत्र आदि विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं.  आपकी रचनाएँ प्रतिष्ठित राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं/ई-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं. हम अपेक्षा करते हैं कि हमारे पाठकों को आपकी उत्कृष्ट रचनाएँ समय समय पर पढ़ने को मिलती रहेंगी. आज प्रस्तुत है एक अतिसुन्दर भावुक लघुकथा   “जीत ”.)

 

☆ लघुकथा – जीत ☆ 

 

“यह मार्मिक छायाचित्र हमारे देश के उच्च कोटि के फोटोग्राफर रोशन बाबू ने लिया है, इसमें पंछियों के जोड़े में से एक की मृत्यु हो गयी है और दूसरा चीत्कार कर रहा है।“
नेपथ्य से आती आवाज़ के साथ मंच में पीछे रखी बड़ी सी स्क्रीन पर रोते हुए एक पंछी का चित्र दिखाई देने लगा जिसका साथी मरा हुआ पड़ा था।

अब फिर से आवाज़ गूंजी, “मित्रों, यह लव-बर्ड हैं, इनके जोड़े में से जब कोई भी एक पंछी मर जाता है, तो दूसरा भी जीवित नहीं रह सकता। एक सच्चा कलाकार ही इस दर्द का चित्रण कर सकता है। निर्णायकों द्वारा इसी चित्र को इस वर्ष का सर्वश्रेष्ठ छायाचित्र घोषित किया गया है। रोशन बाबू को बहुत बधाई।”

घोषणा होते ही पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गुंजायमान हो उठा, रोशन बाबू का पिछले कई वर्षों का सपना पूरा हो गया था, और उनकी ख़ुशी का पारावार नहीं था।

हॉल में पहली पंक्ति पर बैठा रोशन बाबू के परिवार के हर सदस्य का चेहरा खिल उठा था, लेकिन वह चित्र देखते ही वहीँ बैठी उनकी बेटी की भी रुलाई छूट गयी। तीन महीने तक वह उन पंछियों के साथ खेली थी, और एक दिन रोशन बाबू ने उनमें से एक का गला घोंट दिया।

 

डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी

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