हिन्दी साहित्य ☆ साप्ताहिक स्तम्भ – कृष्णा साहित्य # 12 ☆ कविता – अधर सिले पर संवाद बना है ☆ श्रीमती कृष्णा राजपूत ‘भूमि‘

श्रीमती कृष्णा राजपूत ‘भूमि’  

श्रीमती कृष्णा राजपूत ‘भूमि’ जी  एक आदर्श शिक्षिका के साथ ही साहित्य की विभिन्न विधाओं जैसे गीत, नवगीत, कहानी, कविता, बालगीत, बाल कहानियाँ, हायकू,  हास्य-व्यंग्य, बुन्देली गीत कविता, लोक गीत आदि की सशक्त हस्ताक्षर हैं। विभिन्न पुरस्कारों / सम्मानों से पुरस्कृत एवं अलंकृत हैं तथा आपकी रचनाएँ आकाशवाणी जबलपुर से प्रसारित होती रहती हैं। आज प्रस्तुत है  एक भावप्रवण कविता  “अधर सिले पर संवाद बना है।)

☆ साप्ताहक स्तम्भ – कृष्णा साहित्य  # 12 ☆

☆ अधर सिले पर संवाद बना है ☆

अधर सिले पर संवाद बना है

बिन बोले  ही शब्दों को जना है

 

चाँद निहारता रहा ओस रात

कुछ कहता पर कोहरा घना है

 

दाँत रहे तब हालात नहीं थे

अब तो खाने में  मना चना है

 

ईमानदारी को क्या समझेंगे

लोभ – लालच में ही मन सना है

 

मिलना ही है तुझे तेरी मंजिल

बस रखना  मन  नेक भावना है

 

© श्रीमती कृष्णा राजपूत  ‘भूमि ‘

अग्रवाल कालोनी, गढ़ा रोड, जबलपुर -482002 मध्यप्रदेश