हिन्दी साहित्य ☆ साप्ताहिक स्तम्भ – व्यंग्य से सीखें और सिखाएँ # 6 ☆ फॉलोअर ☆ श्रीमती छाया सक्सेना ‘प्रभु’
श्रीमती छाया सक्सेना ‘प्रभु’
( ई-अभिव्यक्ति में संस्कारधानी की सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्रीमती छाया सक्सेना ‘प्रभु’ जी द्वारा “व्यंग्य से सीखें और सिखाएं” शीर्षक से साप्ताहिक स्तम्भ प्रारम्भ करने के लिए हार्दिक आभार। आप अविचल प्रभा मासिक ई पत्रिका की प्रधान सम्पादक हैं। कई साहित्यिक संस्थाओं के महत्वपूर्ण पदों पर सुशोभित हैं तथा कई पुरस्कारों / अलंकरणों से पुरस्कृत / अलंकृत हैं। आपके साप्ताहिक स्तम्भ – व्यंग्य से सीखें और सिखाएं में आज प्रस्तुत है एकअतिसुन्दर व्यंग्य रचना “फॉलोअर”। भला आज की सोशल मीडिया की दुनियां में कौन फॉलोअर नहीं चाहता? आप प्रत्येक गुरुवार को श्रीमती छाया सक्सेना जी की रचना को आत्मसात कर सकेंगे। )
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – व्यंग्य से सीखें और सिखाएँ # 6 ☆
☆ फॉलोअर☆
आजकल सभी अपने मन की बात इलेक्ट्रॉनिक मीडिया जैसे- ट्विटर , फेसबुक व व्हाट्सएप पर ही करना पसंद करते हैं । जो भी जी चाहे वहाँ लिखा और बस लाइक की चाह में बैठ गए मोबाइल लेकर । अब तो हर जगह एक ही मुद्दा है मेरे इतने फॉलोवर्स हैं तेरे कितने हैं । मजे की बात ये है कि इस सम्बंध में लोगों के आइडल फ़िल्मी स्टार्स व सेलिब्रिटी होते हैं ; उन्ही की तर्ज पर नए- नए बने मोबाइल स्टार भी अपने फॉलो की संख्या तो कम रखते हैं व जल्दी ही लोगों को अनफॉलो कर देते हैं । बस उन्हें तो फॉलोवर्स चाहिए ।
इस शब्द को सुनकर कहीं न कहीं फालोऑन की याद आती है कि कैसे टेस्ट क्रिकेट में पहली पारी में दूसरी टीम के कम रन होने पर पहली टीम उसे दुबारा खेलने पर मजबूर करती है और अक्सर देखने में आता कि दुबारा भी आल आउट करके विजेता बनना या मैच का ड्रा होना । खैर ये तो सब खेल – खेल में चलता ही रहता है ।
फॉलो मी शब्द भी बहुत प्रचलित है कोई न कोई किसी न किसी को फॉलो अवश्य करता है। हमारे अपने कई रोल मॉडल होते हैं जिनके अनुयायी बनकर जीवन जीना आसान होता है । वैसे भी भेड़ चाल का अपना ही मजा होता है बिना दिमाग लगाए बस मौज उड़ाते रहो यदि गलती एक गड्ढे में गिरा तो उसी के पीछे सब उसी में गिर कर चीखते चिल्लाते रहते हैं । हाँ इतना अवश्य है कि गिरने वाले इतने सारे लोग होते हैं कि गड्डा भर जाता है और वे एक दूसरे की पीठ पर चढ़कर बाहर आने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा देते हैं और कुशल चमचे अति शीघ्र ऊपर आ जाते हैं और बन जाते हैं मोटिवेशनल लीडर । जैसे ही लेखनी ने प्रेरणा रूपी आग ऊगली बस फॉलोअर बनने लगे ।
आजकल सबसे ज्यादा पोस्ट भी बस मोटिवेशनल ही होती है हर व्यक्ति मोटिवेशन चाहता है । सच मानिए जैसे ही पूरा वीडियो देखा उसे लाइक शेयर और कॉमेंट किया तो ऐसा लगता है कि बस पूरी एनर्जी मेरे अंदर आ गयी है । और हम निकल पड़ते हैं दूसरे को ज्ञान बाँटने और हाँ अपने फॉलोअर बनाने के लिए फिर पोस्ट को स्पॉन्सर करते हैं । लोगों को व्हाट्सएप पर मैसेज भेज कर उन्हें अपनी पोस्ट पढ़ने हेतु प्रेरित करते हैं और करना भी चाहिए क्योंकि किसी को प्रेरित करना आज के समय में बहुत बड़ा कार्य है । जहाँ एक तरफ लोग बिना स्वार्थ के किसी की पोस्ट पर लाइक तक नहीं करते वहीं दूसरी ओर लोगों को जाग्रत करने की बात ही कुछ और ही होती है ।
आज के इलेक्ट्रॉनिक युग में लोकप्रिय होने से कहीं ज्यादा जरूरी है लोकप्रिय होने का दिखावा करना क्योंकि जो दिखता है वही बिकता है । इस तथ्य को सभी कम्पनियों द्वारा समय – समय पर सिद्ध किया जाता रहा है । और तो और अब तो नेता व दलों का चुनाव भी ये प्रचार के स्लोगन ही निर्धारित करते हैं । आखिर शब्दों की शक्ति को कौन नहीं जानता । शब्द तो ब्रह्म होते हैं । और जहाँ सच्चे शब्द वहाँ समझो जीत पक्की । बस हर क्षेत्र में फॉलो मी का ही खेल चल रहा है । कोई किसी से पिछाड़ी नहीं होना चाहता सभी अगाड़ी बन अपने – अपने स्वार्थ की गाड़ी चलाते रहना चाहते हैं तो बस आप भी जुट जाइये अपने फॉलोवर्स बढ़ाने की जद्दोजहद में और बन जाइये इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के सुपर स्टार ।
© श्रीमती छाया सक्सेना ‘प्रभु’
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