श्रीमती छाया सक्सेना ‘प्रभु’
( ई-अभिव्यक्ति में संस्कारधानी की सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्रीमती छाया सक्सेना ‘प्रभु’ जी द्वारा “व्यंग्य से सीखें और सिखाएं” शीर्षक से साप्ताहिक स्तम्भ प्रारम्भ करने के लिए हार्दिक आभार। आप अविचल प्रभा मासिक ई पत्रिका की प्रधान सम्पादक हैं। कई साहित्यिक संस्थाओं के महत्वपूर्ण पदों पर सुशोभित हैं तथा कई पुरस्कारों / अलंकरणों से पुरस्कृत / अलंकृत हैं। आपके साप्ताहिक स्तम्भ – व्यंग्य से सीखें और सिखाएं में आज प्रस्तुत है एकअतिसुन्दर सार्थक रचना “वाह… वाह…. वाह …तंत्र का मंत्र”। इस सार्थक रचना के लिए श्रीमती छाया सक्सेना जी की लेखनी को नमन ।
आप प्रत्येक गुरुवार को श्रीमती छाया सक्सेना जी की रचना को आत्मसात कर सकेंगे। )
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – व्यंग्य से सीखें और सिखाएँ # 12 ☆
☆ वाह… वाह…. वाह …तंत्र का मंत्र ☆
अजी दो -चार लाइनें क्या लिख लीं खुद को अखिल भारतीय साहित्यकार ही घोषित कर दिया । देश तो क्या विदेशों में भी आपके चर्चे हो रहे हैं अब तो मिलना ही पड़ेगा भाई साहब से ।
जय श्री कृष्णा भाई साहब ।
एक बात पूछनी थी, आपको शहर में तो देखा ही नहीं कविता करते हुए आप कब महान कवि घोषित हो गए, आज दूरदर्शन पर आपका काव्यपाठ देखा , क्या गज़ब की शैली है कौन सी विधा में आपने पढ़ा ये तो संचालक भी नहीं समझ पाए और तो और ऑडियंस भी आपके हाव- भाव को देखकर मौन हो गयी फिर कुछ देर बाद ऐसी ताली बजी कि कैमरामैन का कैमरा भी गिर गया ।
हाँ भाई साहब एक बात तो और पूछनी है कि आपको जल्द ही लाल किले में भी बुलाया जायेगा ऐसा मैंने पढ़ा है, आपका नामांकन भी राष्ट्रीय पुरस्कारों के लिए हुआ है ।
कुछ हमें भी गुरु मंत्र दें आजकल काम धंधा मन्दा चल रहा है सोचता हूँ मैं भी कुछ लिखने लगूँ वैसे मेरे पड़ोसी और दोस्त दोनों को मेरी शायरी बहुत पसंद आतीं हैं ।
बहुत देर से तुम्हारी बड़बड़ सुन रहा हूँ वो तो मेरी घरवाली के गाँव के हो तो इतना बर्दाश्त कर लिया वरना …..
आप चाहें तो मेरा बेड़ा पार हो सकता है आज से आप मेरे गुरुदेव हैं कृपा कीजिए ।
अरे नादान बालक इतना तो समझों कि ये मौके व पुरस्कार सब सेटिंग का कमाल है लक्ष्मी एक हाथ से दो दूजे हाथ से पुरस्कार लो, दो चार अच्छी- अच्छी कविताएँ और ग़ज़ल पढ़ो फिर बिना दिमाग लगाए पंक्तियों को जोड़-तोड़ दो ।
कुछ नया तैयार हो जायेगा जिसको कॉपीराइट © करवा लो ।
समझ गया गुरुदेव ।
© श्रीमती छाया सक्सेना ‘प्रभु’
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