श्रीमती कृष्णा राजपूत ‘भूमि’
( श्रीमती कृष्णा राजपूत ‘भूमि’ जी एक आदर्श शिक्षिका के साथ ही साहित्य की विभिन्न विधाओं जैसे गीत, नवगीत, कहानी, कविता, बालगीत, बाल कहानियाँ, हायकू, हास्य-व्यंग्य, बुन्देली गीत कविता, लोक गीत आदि की सशक्त हस्ताक्षर हैं। विभिन्न पुरस्कारों / सम्मानों से पुरस्कृत एवं अलंकृत हैं तथा आपकी रचनाएँ आकाशवाणी जबलपुर से प्रसारित होती रहती हैं। आज प्रस्तुत है आपकी एक अतिसुन्दर और मौलिक कविता जैसा बोया काटा कहते हैं……। श्रीमती कृष्णा जी ने इस कविता के माध्यम से वयोवृद्ध पीढ़ी के प्रति युवा पीढ़ी को अपनी धारणा परिवर्तन हेतु प्रेरित करने का प्रयास किया है। इस अतिसुन्दर रचना के लिए श्रीमती कृष्णा जी बधाई की पात्र हैं।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – कृष्णा साहित्य # 24 ☆
☆ कविता – जैसा बोया काटा कहते हैं…… ☆
लड़खड़ाती जिंदगी को थामकर तो देखिए
सूख गया सावन जो सींचकर तो देखिए
खीज भी उतारें न कठोरता रखे नहीं
लाड़ प्यार इनपर लुटाकर तो देखिए
ऊँगली पकड़ इनसे चलना है सीखा
काँधे पै दोनों हाथ धरा कर तो देखिए
बचपन, जवानी, बुढ़ापा अभी छा गया
तनिक मीठी बात बोलकर तो देखिए
जैसा बोया काटा कहते हैं आप हम
खुशी पायें आप जुगत लगाकर तो देखिए
© श्रीमती कृष्णा राजपूत ‘भूमि ‘
अग्रवाल कालोनी, गढ़ा रोड, जबलपुर -482002 मध्यप्रदेश