श्रीमती कृष्णा राजपूत ‘भूमि’
( श्रीमती कृष्णा राजपूत ‘भूमि’ जी एक आदर्श शिक्षिका के साथ ही साहित्य की विभिन्न विधाओं जैसे गीत, नवगीत, कहानी, कविता, बालगीत, बाल कहानियाँ, हायकू, हास्य-व्यंग्य, बुन्देली गीत कविता, लोक गीत आदि की सशक्त हस्ताक्षर हैं। विभिन्न पुरस्कारों / सम्मानों से पुरस्कृत एवं अलंकृत हैं तथा आपकी रचनाएँ आकाशवाणी जबलपुर से प्रसारित होती रहती हैं। आज प्रस्तुत है एक समसामयिक कविता कटघरा । )
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – कृष्णा साहित्य # 26 ☆
☆ कटघरा ☆
संकट भीषण गहरा है
कदम-कदम पर खतरा है
दुनिया घिरी मुसीबत में
भय-सन्नाटा पसरा है
अपना-अपना घर-आँगन
लगता हमें कटघरा है
रामभरोसे साँसों का
एक-एक दिन गुजरा है।
सूनी सड़कों पर जैसे
यमदूतों का पहरा है
© श्रीमती कृष्णा राजपूत ‘भूमि ‘
अग्रवाल कालोनी, गढ़ा रोड, जबलपुर -482002 मध्यप्रदेश