श्रीमती कृष्णा राजपूत ‘भूमि’
( श्रीमती कृष्णा राजपूत ‘भूमि’ जी एक आदर्श शिक्षिका के साथ ही साहित्य की विभिन्न विधाओं जैसे गीत, नवगीत, कहानी, कविता, बालगीत, बाल कहानियाँ, हायकू, हास्य-व्यंग्य, बुन्देली गीत कविता, लोक गीत आदि की सशक्त हस्ताक्षर हैं। विभिन्न पुरस्कारों / सम्मानों से पुरस्कृत एवं अलंकृत हैं तथा आपकी रचनाएँ आकाशवाणी जबलपुर से प्रसारित होती रहती हैं। आज प्रस्तुत है वीणावादिनी माँ सरस्वती वंदना की काव्याभिव्यक्ति माँ शारदे। )
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – कृष्णा साहित्य # 28 ☆
☆ माँ शारदे ☆
विनती माँ तुमसे मैं करती
सबकी पीड़ा पल में हरती
श्वेत वस्त्र धारिणी माँ शारदे
कमल के आसन विराजती
बुध्दि, शुध्दि विकार त्यागी
एकाग्रता को तुम ही संवारती
ज्योति प़काश दे तम को विखेरती
माँ वीणावादिनी स्वर को संवारती
तेरी शरण माँ निखार शब्द उर के
अभ्यास ज्ञान लय को निखारती
© श्रीमती कृष्णा राजपूत ‘भूमि ‘
अग्रवाल कालोनी, गढ़ा रोड, जबलपुर -482002 मध्यप्रदेश