श्रीमती कृष्णा राजपूत ‘भूमि’  

श्रीमती कृष्णा राजपूत ‘भूमि’ जी  एक आदर्श शिक्षिका के साथ ही साहित्य की विभिन्न विधाओं जैसे गीत, नवगीत, कहानी, कविता, बालगीत, बाल कहानियाँ, हायकू,  हास्य-व्यंग्य, बुन्देली गीत कविता, लोक गीत आदि की सशक्त हस्ताक्षर हैं। विभिन्न पुरस्कारों / सम्मानों से पुरस्कृत एवं अलंकृत हैं तथा आपकी रचनाएँ आकाशवाणी जबलपुर से प्रसारित होती रहती हैं। आज प्रस्तुत है  एक भावप्रवण कविता बेटियाँ नित्य नया इतिहास रचा रहीं। 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – कृष्णा साहित्य # 31 ☆

☆ बेटियाँ नित्य नया इतिहास रचा रहीं ☆

 

बेटियाँ नित्य नया इतिहास रचा रहीं,

उन्नति के शिखर चढ़, राष्ट्र ध्वज फहरा रहीं.

 

असफलता ,न्यूनता को प़ेम से बुहारती,

ये ऊँची उड़ान की पतंग फहरा रही.

 

बचपन का लाड़-प्यार, रूठना -फूलना,

कर्तव्य-सरोवर में गोते लगा रहीं.

 

पीपल की,बरगद की शीतल -सी छाँहभी हैं

बेटियाँ हैं शेरनी भी, खौफ नहीं खा रहीं.

 

मर -मिट जा रहीं सीमा पै देश की.

शहीदों में नाम बेटियाँ लिखा रहीं.

 

© श्रीमती कृष्णा राजपूत  ‘भूमि ‘

अग्रवाल कालोनी, गढ़ा रोड, जबलपुर -482002 मध्यप्रदेश

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