हिन्दी साहित्य – ☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक की पुस्तक चर्चा – # 3 ☆ काव्य संग्रह – कंटीले कैक्टस में फूल ☆ – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’

 विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ 

 

(हम प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ जी के आभारी हैं जिन्होने  साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक की पुस्तक चर्चा”  शीर्षक से यह स्तम्भ लिखने का आग्रह स्वीकारा। इस स्तम्भ के अंतर्गत हम उनके द्वारा की गई पुस्तक समीक्षाएं/पुस्तक चर्चा आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।  अब आप प्रत्येक मंगलवार को श्री विवेक जी के द्वारा लिखी गई पुस्तक समीक्षाएं पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है श्री विवेक जी  की पुस्तक चर्चा  “काव्य संग्रह – कंटीले कैक्टस में फूल।)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक की पुस्तक चर्चा – # 3☆ 

 

 ☆ काव्य संग्रह – कंटीले कैक्टस में फूल ☆

 

पुस्तक चर्चा

काव्य संग्रह .. कंटीले कैक्टस में फूल 

लेखक.. आनन्द बाला शर्मा

पृष्ठ ६०, मूल्य २५० रु

संस्करण.. हार्ड बाउन्ड मूल्य

आई एस बी एन..९७८ ८१ ९३४८२६ ९ ८

प्रकाशक.. विनीता पब्लिशिंग हाउस, ग्रेटर नोयडा

 

☆ काव्य संग्रह – कंटीले कैक्टस में फूल  – चर्चाकार…विवेक रंजन श्रीवास्तव ☆

 

आनंद बाला शर्मा, कविता, गीत, संस्मरण, लेखो में अपने मनोभाव व्यक्त करती हैं. आकाशवाणी से उनके प्रसारण होते रहे हैं. इन दिनो वे जमशेदपुर में रहकर अपने रचना कर्म द्वारा समाज को दिशा प्रदान करने में निरत हैं. प्रस्तुत पुस्तक में उनकी समय समय पर लिखी गई ४८ छोटी बड़ी अतुकांत कवितायें संग्रहित हैं. स्वाभाविक रूप से कविताओ के विषयो में वैभिन्य है. वे लिखती हैं

 

सपने पूरे होते हैं

बस उन्हें चाहिये थोड़ी जगह हवा पानी धूप

और खुला आसमान

ओढ़ने के लिये समय की चादर और

एक चाहत उनको बिखरने से बचाने के लिये.

 

इसी तरह के बिम्ब और प्रतीको के माध्यम से नई कविता की उन्मुक्त शब्द विन्यास शैली में प्रौढ़ कवियत्री ने स्त्री विमर्श पर कन्यादान, रिस्ते, माँ तो बस मां होती है, आंख के दो आंसू बेटियां औरत जैसी रचनायें की हैं. कारगिल युद्ध के दौरान जब एक बच्ची अपना जन्मदिन मनाने से मना कर देती है तो इस अनुभव की साक्षी रचनाका को संवेदनाओ के जिंदा होने का प्रमाण मिल जाता है और वे आस्वस्ति के साथ कविता लिख डालती हैं. कवितायें जो लिखी ही नही गईं, उनकी संग्रह की अंतिम रचना है. आशा करनी चाहिये कि भविश्य में उनसे हिन्दी जगत को ओर परिपक्व, और भी प्रयोगात्मक, और भी नये बिम्ब के साथ उपजी प्रौढ़ कवितायें मिल सकेंगी.

चर्चाकार.. विवेक रंजन श्रीवास्तव, ए १, शिला कुंज, नयागांव,जबलपुर ४८२००८

मो ७०००३७५७९८