श्री संतोष नेमा “संतोष”
(आदरणीय श्री संतोष नेमा जी कवितायें, व्यंग्य, गजल, दोहे, मुक्तक आदि विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं. धार्मिक एवं सामाजिक संस्कार आपको विरासत में मिले हैं. आपके पिताजी स्वर्गीय देवी चरण नेमा जी ने कई भजन और आरतियाँ लिखीं थीं, जिनका प्रकाशन भी हुआ है. 1982 से आप डाक विभाग में कार्यरत हैं. आपकी रचनाएँ राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में लगातार प्रकाशित होती रहती हैं। आप कई सम्मानों / पुरस्कारों से सम्मानित/अलंकृत हैं. “साप्ताहिक स्तम्भ – इंद्रधनुष” की अगली कड़ी में प्रस्तुत है उनकी एक अतिसुन्दर भावप्रवण कविता “लो आ गया अब नया साल”. आप श्री संतोष नेमा जी की रचनाएँ प्रत्येक शुक्रवार पढ़ सकते हैं . )
☆ साहित्यिक स्तम्भ – इंद्रधनुष # 19 ☆
☆ लो आ गया अब नया साल ☆
लो आ गया अब नया साल
पिछले भूलो सभी मलाल
लो आ गया अब नया साल
शीतल सर्द मद मस्त हवा
गिरती ओस अल मस्त सबा
जो नित नये करती कमाल
लो आ गया अब नया साल
गुजरा वक्त बड़ा निराला
कुछ ने कीचड़ खूब उछाला
राजनीति के नए जंजाल
लो आ गया अब नया साल
नफरतों की होली जलाएँ
एक दूजे को गले लगाएँ
प्रेम संग सब करें धमाल
लो आ गया अब नया साल
बना रहे सद्भाव सभी में
हों न कभी दुराव सभी में
शक के रहें न कभी सवाल
लो आ गया अब नया साल
खट्टी मीठी यादें शेष
साल बदलता अपना भेष
अब यह बीस रहे खुशहाल
लो आ गया अब नया साल
पूर्ण हों अब सबकी आशा
पास रहे ना अब निराशा
हो ना कभी कोई बवाल
लो आ गया अब नया साल
सभी के मन “संतोष” रहे
नया वर्ष नया जोश रहे
हो न अब कोई तंगहाल
लो आ गया अब नया साल
एक और अब निकला साल
सबको मुबारक नया साल
लो आ गया अब नया साल
© संतोष नेमा “संतोष”
आलोकनगर, जबलपुर (म. प्र.)
मोबा 9300101799