हिन्दी साहित्य – ☆ साप्ताहिक स्तम्भ – समय चक्र – # 8 ☆ कविता – अस्मिता बनी रहे ☆ डॉ. राकेश ‘चक्र’
डॉ. राकेश ‘चक्र’
(हिंदी साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर डॉ. राकेश ‘चक्र’ जी की अब तक शताधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। जिनमें 70 के आसपास बाल साहित्य की पुस्तकें हैं। कई कृतियां पंजाबी, उड़िया, तेलुगु, अंग्रेजी आदि भाषाओँ में अनूदित । कई सम्मान/पुरस्कारों से सम्मानित/अलंकृत। इनमें प्रमुख हैं ‘बाल साहित्य श्री सम्मान 2018′ (भारत सरकार के दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी बोर्ड, संस्कृति मंत्रालय द्वारा डेढ़ लाख के पुरस्कार सहित ) एवं उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा ‘अमृतलाल नागर बालकथा सम्मान 2019’। यह हमारे लिए गर्व की बात है कि डॉ राकेश ‘चक्र’ जी ने ई- अभिव्यक्ति में प्रत्येक गुरुवार “साप्ताहिक स्तम्भ – समय चक्र” के माध्यम से अपने साहित्य को हमारे प्रबुद्ध पाठकों से साझा करने के हमारे आग्रह को स्वीकार कर लिया है। इस कड़ी में आज प्रस्तुत हैं एक भावप्रवण कविता “अस्मिता बनी रहे”.)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – समय चक्र – # 8 ☆
☆ अस्मिता बनी रहे ☆
अस्मिता बनी रहे
सुष्मिता बनी रहे
देश में रहे अमन
स्वच्छता बनी रहे
कर्म हम सुभग करें
झूठ से नहीं डरें
प्रीति-रीति जिंदगी
नेह का सफर करें
पोर-पोर में पुनीत
नव्यता बनी रहे
देश के लिए जिएँ
देश के लिए मरें
सत्य-पंथ पर चलें
रंग प्रेम के भरें
मुस्कुराएँ ताल-स्वर
काव्यता बनी रहे
सृष्टि को करें नमन
वृष्टि का करें शमन
छोड़कर बुराइयाँ
हो सदा अमन-चमन
सोच योगमय रहे
सभ्यता बनी रहे
लोभ, क्रोध हैं मरण
दानवीर हैं करण
मात-पित्र भक्ति ही
देवतुल्य आचरण
ज्ञान के प्रकाश में
भव्यता बनी रहे
(एमडी,एक्यूप्रेशर एवं योग विशेषज्ञ)
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