हिन्दी साहित्य – ☆ साप्ताहिक स्तम्भ – कृष्णा साहित्य # 8 ☆ कविता– भूला मानव को मानव का प्यार है ☆ श्रीमती कृष्णा राजपूत ‘भूमि‘
श्रीमती कृष्णा राजपूत ‘भूमि’
( श्रीमती कृष्णा राजपूत ‘भूमि’ जी एक आदर्श शिक्षिका के साथ ही साहित्य की विभिन्न विधाओं जैसे गीत, नवगीत, कहानी, कविता, बालगीत, बाल कहानियाँ, हायकू, हास्य-व्यंग्य, बुन्देली गीत कविता, लोक गीत आदि की सशक्त हस्ताक्षर हैं। विभिन्न पुरस्कारों / सम्मानों से पुरस्कृत एवं अलंकृत हैं तथा आपकी रचनाएँ आकाशवाणी जबलपुर से प्रसारित होती रहती हैं। आज प्रस्तुत है एक समसामयिक कविता “भूला मानव को मानव का प्यार है”।)
☆ साप्ताहक स्तम्भ – कृष्णा साहित्य # 8 ☆
☆ भूला मानव को मानव का प्यार है ☆
कदम-कदम पर यहाँ एक व्यापार है.
एक जहर भरी पुड़िया ये संसार है.
मिला अनुभव जीवन कद काँटो से.
बहुत राह में रोड़ों का अम्बार है.
तूल दिया जाता छोटी घटना को.
बात बढ़ाता रहता हर अखबार है.
मंदिर, मस्जिद, गुरुव्द़ारे को दौड़ रहे.
भूला मानव को मानव का प्यार है.
बीच भँवर में मुझे अकेला छोड़ गया.
देख लिया मैंने अब कैसा ये संसार है.
© श्रीमती कृष्णा राजपूत ‘भूमि ‘
अग्रवाल कालोनी, गढ़ा रोड, जबलपुर -482002 मध्यप्रदेश