हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ परिहार जी का साहित्यिक संसार # 269 ☆ व्यंग्य – फूलचन्द का बचत-प्रचार अभियान ☆ डॉ कुंदन सिंह परिहार ☆

डॉ कुंदन सिंह परिहार

(वरिष्ठतम साहित्यकार आदरणीय  डॉ  कुन्दन सिंह परिहार जी  का साहित्य विशेषकर व्यंग्य  एवं  लघुकथाएं  ई-अभिव्यक्ति  के माध्यम से काफी  पढ़ी  एवं  सराही जाती रही हैं।   हम  प्रति रविवार  उनके साप्ताहिक स्तम्भ – “परिहार जी का साहित्यिक संसार” शीर्षक  के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाते  रहते हैं।  डॉ कुंदन सिंह परिहार जी  की रचनाओं के पात्र  हमें हमारे आसपास ही दिख जाते हैं। कुछ पात्र तो अक्सर हमारे आसपास या गली मोहल्ले में ही नज़र आ जाते हैं।  उन पात्रों की वाक्पटुता और उनके हावभाव को डॉ परिहार जी उन्हीं की बोलचाल  की भाषा का प्रयोग करते हुए अपना साहित्यिक संसार रच डालते हैं।आज प्रस्तुत है आपका एक अप्रतिम व्यंग्य – ‘फूलचन्द का बचत-प्रचार अभियान‘। इस अतिसुन्दर रचना के लिए डॉ परिहार जी की लेखनी को सादर नमन।)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – परिहार जी का साहित्यिक संसार  # 269 ☆

☆ व्यंग्य ☆ फूलचन्द का बचत-प्रचार अभियान

फूलचन्द भला आदमी है। उसे समाज- सेवा का ख़ब्त है। कुछ न कुछ करने में लगा रहता है। लेकिन उसकी समाज-सेवा माल-कमाऊ समाज-सेवा नहीं होती, जैसा आजकल बहुत से होशियार लोग कर रहे हैं। यानी सरकार से अनुदान लेना और समाज से ज़्यादा खुद अपना और अपने प्रिय परिवार का उत्थान करना। फूलचन्द अपना घर बिगाड़ कर समाज सेवा करता है, यानी बुद्धू और नासमझ है।

वह कभी झुग्गी-झोपड़ी वालों को परिवार-नियोजन का महत्व समझाने निकल जाता है, कभी अस्पताल जाकर मरीज़ों की सहायता में लग जाता है, कभी शहर की सफाई के लिए कोशिश में लग जाता है। सब अच्छे कामों की अगुवाई के लिए फूलचन्द हमेशा उपलब्ध है। कोई दुर्घटना होते ही फूलचन्द सबसे पहले पहुंचता है। सब पुलिस वाले, डॉक्टर, नर्सें उसे जानते हैं। संक्षेप में फूलचन्द उन लोगों में से है जिनकी नस्ल निरन्तर कम होती जा रही है।

आजकल फूलचन्द पर ख़ब्त सवार है कि लोगों को बचत के लिए समझाना चाहिए।
उसने कहीं पढ़ा है कि हमारे देश के लोग बहुत फिज़ूलखर्ची करते हैं—गहने ज़ेवर खरीदने में, फालतू संपत्ति खरीदने में, दिखावे में,अंधविश्वास में, शादी-ब्याह में, जन्म-मृत्यु में। उसका कहना है कि वह लोगों को प्रेरित करेगा कि फ़िज़ूलखर्ची रोककर अपना पैसा ऐसे कामों में लगायें जिनसे खुद उनका भी भला हो और देश का भी। उसने यह जानकारी इकट्ठी कर ली है कि किन-किन कामों में पैसा लगाना ठीक होगा।

एक दिन वह अपने अभियान पर मुझे भी पकड़ ले गया। हम जिस घर में घुसे वह दुमंजिला था। सामने ‘टी. प्रसाद’ की तख्ती लगी थी। मकान से समृद्धि की बू आती थी। वह कर्ज़- वर्ज़ लेकर मर मर कर बनाया गया मकान नहीं दिखता था। दो-तीन स्कूटर थे, झूला था, फूल थे, दीवारों पर अच्छा रंग-रोगन था।

घंटी बजाने पर सबसे पहले एक कुत्ता भौंका, जैसा कि हर समृद्ध घर में होता है। उसके बाद 50-55 की उम्र के एक सज्जन प्रकट हुए। वे हमें ससम्मान भीतर ले गये।

भीतर भी सब चाक-चौबन्द था। रंगीन टीवी, फोन, दीवारों पर पेंटिंग। पेंटिंग शान के लिए लगयी जाती है। कई बार खरीदने वाला खुद नहीं जानता है कि उसमें बना क्या है, या वह उल्टी टंगी है या सीधी। जो जानते हैं वे उन्हें खरीद नहीं पाते।

उन सज्जन ने प्रेम से हमें बैठाया। फूलचन्द ने उन्हें अपने आने का मकसद बताया तो वे प्रसन्न हुए, बोले, ‘मैं आपकी बात से पूरा इत्तफाक रखता हूं। हमें बचत करना चाहिए, फिज़ूलखर्ची रोकना चाहिए और अपने पैसे को उपयोगी कामों में लगाना चाहिए।’ फूलचन्द प्रसन्न हुए।

वृद्ध सज्जन, जो  खुद टी.प्रसाद थे, बोले, ‘मुझे आपको यह बताने में खुशी है कि मैंने इस सिद्धान्त पर जिन्दगी भर अमल किया है। आपको जानकर ताज्जुब होगा मैंने अपनी चौबीस साल की नौकरी में से बीस साल लगातार अपनी पूरी तनख्वाह बचायी है।’

सुनकर हम चौंके। फूलचन्द ने आश्चर्य से पूछा, ‘बीस साल तक पूरी तनख्वाह बचायी है?’ टी.प्रसाद गर्व से बोले, ‘हां, पूरी तनख्वाह बचायी है।’ फूलचन्द ने कहा, ‘तो आपकी आमदनी के और ज़रिये रहे होंगे।’ प्रसाद जी ने जवाब दिया, ‘नहीं जी, और ज़रिये कहां से होंगे? सवेरे दस से पांच तक दफ्तर की नौकरी के बाद ज़रिये कहां से पैदा करेंगे? फिर मैं तो संतोषी रहा हूं। ज्यादा हाथ पांव फेंकना मुझे पसन्द नहीं।’

फूलचंद ने पूछा, ‘फिर आपका खर्च कैसे चलता रहा होगा?’

प्रसाद जी बोले, ‘मेरी भी समझ में नहीं आता कि मेरा खर्च कैसे चलता रहा। सब ऊपर वाले का करिश्मा है। इसीलिए मेरी भगवान में बड़ी आस्था है।’ वे चुप होकर मुग्ध भाव से ज़मीन की तरफ देखते रहे जैसे मनन कर रहे हों। फिर बोले, ‘आपने कहानियां पढ़ी होंगी कि कैसे कोई आदमी रात को जब सोया तो गरीब था और सवेरे उठा तो अमीर हो गया। पहले मुझे ऐसी कहानियों पर यकीन नहीं होता था, बाद में जब मेरे साथ होने लगा तो यकीन हो गया। मैं सवेरे दफ्तर जाता था तो मेरी जेब में फूटी कौड़ी नहीं होती थी। शाम को कुर्सी से उठता तो हर जेब में नोट होते थे। मेज़ की दराज़ में भी नोट। मेरी खुद समझ में नहीं आता था कि ये नोट कहां से आ जाते थे। अब भी यही होता है। नतीजा यह हुआ कि अपने आप पूरी तनख्वाह बचती रही।’

फूलचन्द बोला, ‘फिर तो आपके पास बहुत पैसा इकट्ठा हो गया होगा?’

टी. प्रसाद बोले, ‘हां जी, होना ही था। मैं क्या करता? मेरा कोई बस नहीं था।’

फूलचन्द ने फिर पूछा, ‘तो फिर आपने उस बचत का क्या किया?’

टी. प्रसाद बोले, ‘उसे अलग-अलग कामों में लगाया ताकि अपना भी फायदा हो और देश की भी तरक्की हो। देश की फिक्र करना हमारा फ़र्ज़ है, इसीलिए उसका कोई गलत इस्तेमाल नहीं किया।’

फूलचंद चक्कर में था। उसका बचत- प्रचार अभियान गड़बड़ा रहा था। बोला, ‘आपकी संतानें क्या कर रही हैं?’

टी. प्रसाद ने उत्तर दिया, ‘तीन बेटे हैं जी। दो नौकरी में हैं और दोनों होनहार हैं। दोनों मेरी तरह अपनी तनख्वाह बचा रहे हैं। मुझे उन पर फख्र है। तीसरा अभी पढ़ रहा है, लेकिन मुझे पूरा यकीन है कि वह भी इसी तरह बचत करेगा और अपने पैसे का गलत इस्तेमाल नहीं करेगा।’

फूलचन्द परेशानी के भाव से बोला, ‘आपके दफ्तर में सभी ऐसी ही बचत करते हैं?’

प्रसाद जी बोले, ‘हां जी, ज्यादातर ऐसा ही करते हैं। नये लोग ज़रूर नासमझ होते हैं। उन्हें बचत के तरीके समझने में टाइम लगता है। एक दो ऐसे नासमझ भी होते हैं जो अपने कपड़ों में जेब ही नहीं रखते, मेज़ का दराज़ बन्द रखते हैं। अब उन पर प्रभु की कृपा कहां से होगी? जब लक्ष्मी के लिए दरवाजा नहीं रखोगे तो लक्ष्मी कहां से आएगी? ऐसे लोग बचत नहीं कर पाते। ऐसे लोगों से देश का कोई भला नहीं होता। सीनियर होने के नाते मैं सबको समझा ही सकता हूं, ज़बरदस्ती नहीं कर सकता। मैं तो चाहता हूं कि सब बचत करें।’

हम बदहवास से वहां से उठे। टी. प्रसाद बोले, ‘आप बहुत अच्छा काम कर रहे हैं जी। लोगों को बचत के लिए समझा रहे हैं। आप कहें तो दफ्तर के बाद मैं भी आपके साथ चलकर लोगों को समझा सकता हूं। मुझे बड़ी खुशी होगी। समाज- सेवा करना चाहिए।’

फूलचन्द घबरा कर बोला, ‘नहीं नहीं। आपको कष्ट करने की कोई ज़रूरत नहीं है। आप दफ्तर में ही काफी बचत करवा रहे हैं, बाहर का काम हम कर लेंगे।’

प्रसाद जी हाथ जोड़कर बोले, ‘जैसी आपकी मर्जी। वैसे मेरी कभी ज़रूरत पड़े तो बताइएगा। देश के काम के लिए मैं हमेशा तैयार हूं।’

© डॉ कुंदन सिंह परिहार

जबलपुर, मध्य प्रदेश

 संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈




हिन्दी साहित्य – कथा कहानी ☆ ≈ मॉरिशस से ≈ – ज्ञान बनाम जीवन – ☆ श्री रामदेव धुरंधर ☆

श्री रामदेव धुरंधर

(ई-अभिव्यक्ति में मॉरीशस के सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार श्री रामदेव धुरंधर जी का हार्दिक स्वागत। आपकी रचनाओं में गिरमिटया बन कर गए भारतीय श्रमिकों की बदलती पीढ़ी और उनकी पीड़ा का जीवंत चित्रण होता हैं। आपकी कुछ चर्चित रचनाएँ – उपन्यास – चेहरों का आदमी, छोटी मछली बड़ी मछली, पूछो इस माटी से, बनते बिगड़ते रिश्ते, पथरीला सोना। कहानी संग्रह – विष-मंथन, जन्म की एक भूल, व्यंग्य संग्रह – कलजुगी धरम, चेहरों के झमेले, पापी स्वर्ग, बंदे आगे भी देख, लघुकथा संग्रह – चेहरे मेरे तुम्हारे, यात्रा साथ-साथ, एक धरती एक आकाश, आते-जाते लोग। आपको हिंदी सेवा के लिए सातवें विश्व हिंदी सम्मेलन सूरीनाम (2003) में सम्मानित किया गया। इसके अलावा आपको विश्व भाषा हिंदी सम्मान (विश्व हिंदी सचिवालय, 2013), साहित्य शिरोमणि सम्मान (मॉरिशस भारत अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी 2015), हिंदी विदेश प्रसार सम्मान (उ.प. हिंदी संस्थान लखनऊ, 2015), श्रीलाल शुक्ल इफको साहित्य सम्मान (जनवरी 2017) सहित कई सम्मान व पुरस्कार मिले हैं। हम श्री रामदेव  जी के चुनिन्दा साहित्य को ई अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों से समय समय पर साझा करने का प्रयास करेंगे। आज प्रस्तुत है आपकी एक विचारणीय एवं प्रेरणास्पद लघुकथा “– ज्ञान बनाम जीवन –” ।

~ मॉरिशस से ~

☆ कथा कहानी ☆ — ज्ञान बनाम जीवन — ☆ श्री रामदेव धुरंधर ☆

मेरे बाबा ने कभी मुझसे कहा था किसी के कंधे का सहारा मत लेना। वह अचानक हट जाए तो तुम गिर जाओगे। मेरे बाबा की ओर से यह मेरे लिए गहन ज्ञान हुआ। मेरा वही बाबा अपने जीवन के सांध्य में मेरे कंधे का सहारा ले रहा था। इस अवस्था में उसे कहाँ याद रहता उसने कंधे के बारे में मुझे कैसा ज्ञान दिया था। ज्ञान को मैं भूल जाऊँ तो यह मेरे बाबा का अपना जीवन था।

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© श्री रामदेव धुरंधर
21 – 12 – 2024

संपर्क : रायल रोड, कारोलीन बेल एर, रिविएर सेचे, मोरिशस फोन : +230 5753 7057   ईमेल : [email protected]

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈




हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ संजय उवाच # 270 – गुरुत्वाकर्षण ☆ श्री संजय भारद्वाज ☆

श्री संजय भारद्वाज

(“साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच “ के  लेखक  श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही  गंभीर लेखन।  शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है। साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं  और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं।श्री संजय जी के ही शब्दों में ” ‘संजय उवाच’ विभिन्न विषयों पर चिंतनात्मक (दार्शनिक शब्द बहुत ऊँचा हो जाएगा) टिप्पणियाँ  हैं। ईश्वर की अनुकम्पा से आपको  पाठकों का  आशातीत  प्रतिसाद मिला है।”

हम  प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक  के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाते रहेंगे। आज प्रस्तुत है  इस शृंखला की अगली कड़ी। ऐसे ही साप्ताहिक स्तंभों  के माध्यम से  हम आप तक उत्कृष्ट साहित्य पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे।)

☆  संजय उवाच # 270 ☆ गुरुत्वाकर्षण… ?

आदमी मिट्टी के घर में रहता था, खेती करता था। अनाज खुद उगाता, शाक-भाजी उगाता, पेड़-पौधे लगाता। कुआँ खोदता, कुएँ की गाद खुद निकालता। गाय-बैल पालता, हल जोता करता, बैल को अपने बच्चों-सा प्यार देता। घास काटकर लाता, गाय को खिलाता, गाय का दूध खुद निकालता, गाय को माँ-सा मान देता। माटी की खूबियाँ समझता, माटी से अपना घर खुद बनाता-बाँधता। सूरज उगने से लेकर सूरज डूबने तक प्रकृति के अनुरूप आदमी की चर्या चलती।

आदमी प्रकृति से जुड़ा था। सृष्टि के हर जीव की तरह अपना हर क्रिया-कलाप खुद करता। उसके रोम-रोम में प्रकृति अंतर्निहित थी। वह फूल, खुशबू, काँटे, पत्ते, चूहे, बिच्छू, साँप, गर्मी, सर्दी, बारिश सबसे परिचित था, सबसे सीधे रू-ब-रू होता । प्राणियों के सह अस्तित्व का उसे भान था। साथ ही वह साहसी था, ज़रूरत पड़ने पर हिंसक प्राणियों से दो-दो हाथ भी करता।

उसने उस जमाने में अंकुर का उगना, धरती से बाहर आना देखा था और स्त्रियों का जापा, गर्भस्थ शिशु का जन्म उसी प्राकृतिक सहजता से होता था।

आदमी ने चरण उटाए। वह फ्लैटों में रहने लगा। फ्लैट यानी न ज़मीन पर रहा न आसमान का हो सका।

अब आदमियों की बड़ी आबादी एक बीज भी उगाना नहीं जानती। प्रसव अस्पतालों के हवाले है। ज्यादातर आबादी ने सूरज उगने के विहंगम दृश्य से खुद को वंचित कर लिया है। बूढ़ी गाय और जवान बैल बूचड़खाने के रॉ मटेरियल हो चले, माटी एलर्जी का सबसे बड़ा कारण घोषित हो चुकी।

अपना घर खुद बनाना-थापना तो अकल्पनीय, एक कील टांगने के लिए भी कथित विशेषज्ञ  बुलाये जाने लगे हैं। अपने इनर सोर्स को भूलकर आदमी आउटसोर्स का ज़रिया बन गया है। शरीर का पसीना बहाना पिछड़ेपन की निशानी बन चुका। एअर कंडिशंड आदमी नेचर की कंडिशनिंग करने लगा है।

श्रम को शर्म ने विस्थापित कर दिया है। कुछ घंटे यंत्रवत चाकरी से शुरू करनेवाला आदमी शनैः-शनैः यंत्र की ही चाकरी करने लगा है।

आदमी डरपोक हो चला है। अब वह तिलचट्टे से भी डरता है। मेंढ़क देखकर उसकी चीख निकल आती है। आदमी से आतंकित चूहा यहाँ-वहाँ जितना बेतहाशा भागता है, उससे अधिक चूहे से घबराया भयभीत आदमी उछलकूद करता है। साँप का दिख जाना अब आदमी के जीवन की सबसे खतरनाक दुर्घटना है।

लम्बा होना, ऊँचा होना नहीं होता। यात्रा आकाश की ओर है, केवल इस आधार पर उर्ध्वगामी नहीं कही जा सकती। त्रिशंकु आदमी आसमान को उम्मीद से ताक रहा है। आदमी ऊपर उठेगा या औंधे मुँह गिरेगा, अपने इस प्रश्न पर खुद हँसी आ रही है। आकाश का आकर्षण मिथक हो सकता है पर गुरुत्वाकर्षण तो इत्थमभूत है। सेब हो, पत्ता, नारियल या तारा, टूटकर गिरना तो ज़मीन पर ही पड़ता है।

© संजय भारद्वाज 

अध्यक्ष– हिंदी आंदोलन परिवार ☆ सदस्य– हिंदी अध्ययन मंडल, पुणे विश्वविद्यालय, एस.एन.डी.टी. महिला विश्वविद्यालय, न्यू आर्ट्स, कॉमर्स एंड साइंस कॉलेज (स्वायत्त) अहमदनगर ☆ संपादक– हम लोग ☆ पूर्व सदस्य– महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ☆ ट्रस्टी- जाणीव, ए होम फॉर सीनियर सिटिजन्स ☆ 

मोबाइल– 9890122603

संजयउवाच@डाटामेल.भारत

[email protected]

☆ आपदां अपहर्तारं ☆

💥  मार्गशीर्ष साधना 16 नवम्बर से 15 दिसम्बर तक चलेगी। साथ ही आत्म-परिष्कार एवं ध्यान-साधना भी चलेंगी💥

 🕉️ इस माह के संदर्भ में गीता में स्वयं भगवान ने कहा है, मासानां मार्गशीर्षो अहम्! अर्थात मासों में मैं मार्गशीर्ष हूँ। इस साधना के लिए मंत्र होगा-

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

  इस माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को गीता जयंती मनाई जाती है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा को दत्त जयंती मनाई जाती है। 🕉️

अनुरोध है कि आप स्वयं तो यह प्रयास करें ही साथ ही, इच्छुक मित्रों /परिवार के सदस्यों  को भी प्रेरित करने का प्रयास कर सकते हैं। समय समय पर निर्देशित मंत्र की इच्छानुसार आप जितनी भी माला जप  करना चाहें अपनी सुविधानुसार कर सकते हैं ।यह जप /साधना अपने अपने घरों में अपनी सुविधानुसार की जा सकती है।ऐसा कर हम निश्चित ही सम्पूर्ण मानवता के साथ भूमंडल में सकारात्मक ऊर्जा के संचरण में सहभागी होंगे। इस सन्दर्भ में विस्तृत जानकारी के लिए आप श्री संजय भारद्वाज जी से संपर्क कर सकते हैं। 

संपादक – हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈




English Literature – Poetry ☆ Anonymous litterateur of social media # 216 ☆ Captain Pravin Raghuvanshi, NM ☆

Captain (IN) Pravin Raghuvanshi, NM

 

? Anonymous Litterateur of social media # 216 (सोशल मीडिया के गुमनाम साहित्यकार # 216) ?

Captain Pravin Raghuvanshi NM—an ex Naval Officer, possesses a multifaceted personality. He served as a Senior Advisor in prestigious Supercomputer organisation C-DAC, Pune. An alumnus of IIM Ahmedabad was involved in various Artificial and High-Performance Computing projects of national and international repute. He has got a long experience in the field of ‘Natural Language Processing’, especially, in the domain of Machine Translation. He has taken the mantle of translating the timeless beauties of Indian literature upon himself so that it reaches across the globe. He has also undertaken translation work for Shri Narendra Modi, the Hon’ble Prime Minister of India, which was highly appreciated by him. He is also a member of ‘Bombay Film Writer Association’. He is also the English Editor for the web magazine www.e-abhivyakti.com

Captain Raghuvanshi is also a littérateur par excellence. He is a prolific writer, poet and ‘Shayar’ himself and participates in literature fests and ‘Mushayaras’. He keeps participating in various language & literature fests, symposiums and workshops etc.

Recently, he played an active role in the ‘International Hindi Conference’ at New Delhi. He presided over the “Session Focused on Language and Translation” and also presented a research paper. The conference was organized by Delhi University in collaboration with New York University and Columbia University.

हिंदी साहित्य – आलेख ☆ अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन ☆ कैप्टन प्रवीण रघुवंशी, एन एम्

In his Naval career, he was qualified to command all types of warships. He is also an aviator and a Sea Diver; and recipient of various awards including ‘Nao Sena Medal’ by the President of India, Prime Minister Awards and C-in-C Commendation. He has won many national and international awards.

He is also an IIM Ahmedabad alumnus.

His latest quest involves writing various books and translation work including over 100 Bollywood songs for various international forums as a mission for the enjoyment of the global viewers. Published various books and over 3000 poems, stories, blogs and other literary work at national and international level. Felicitated by numerous literary bodies..! 

? English translation of Urdu poetry couplets of Anonymous litterateur of Social Media # 213 ?

☆☆☆☆☆

तमन्ना ने जिंदगी के आँचल में सर

रख कर पूछा “मै कब पूरी होउंगी?”

जिंदगी ने हँसकर जवाब दिया-

जो पूरी हो जाये वो तमन्ना ही क्या…

☆☆

Keeping  the  head  in the  life’s  lap

Wish asked, “When will I get fulfilled?”

Life responded  bursting into laughters

How can it be a wish if it gets fulfilled…

☆☆☆☆☆

यूँ तो रोज़ खत लिखता रहा उनके नाम 

क्या पता कभी पहुँचे भी उन तलक…

बहार क्या आई मानो जैसे फ़िज़ाओं में

मेरे तमाम ख़तों के जवाब बिखर गए…!

☆☆

Though kept writing letters everyday

Knoweth not if they ever reached her

Onset of spring filled the environs

With the answers to all my letters…!

☆☆☆☆☆

तेरी यादों की नौकरी में

दीदार की पगार मिलती है,

ख़र्च हो जाते हैं आँसू आँखों के 

रहमत कहाँ उधार मिलती है..

☆☆

In the job of your memories

Glimpses get paid as salary

Tears of eyes get spent, but

D’you ever get charity on credit

☆☆☆☆☆

छू जाते हो तुम मुझे हर रोज़

एक  नया  ख्वाब  बनकर…

ये दुनिया तो ख़ामख़ाह कहती है

कि  तुम  मेरे  करीब नहीं हो…!

☆☆

You embrace me everyday

By becoming a new dream…

World needlessly says just like 

that you are not close to me…

☆☆☆☆☆

© Captain Pravin Raghuvanshi, NM

Pune

≈ Editor – Shri Hemant Bawankar/Editor (English) – Captain Pravin Raghuvanshi, NM ≈



English Literature – Travelogue ☆ New Zealand: Journey Through Middle-earth: A Two-Week New Zealand Itinerary: # 5 ☆ Mr. Jagat Singh Bisht ☆

Shri Jagat Singh Bisht

☆ Travelogue – New Zealand: Journey Through Middle-earth: A Two-Week New Zealand Itinerary: # 5 ☆ Mr. Jagat Singh Bisht ☆

As my time in New Zealand drew to a close, I found myself captivated by The Lord of the Rings—an epic masterpiece widely regarded as one of the greatest film series ever made. Shot entirely amidst the breathtaking landscapes of director Peter Jackson’s homeland, New Zealand, the trilogy transported me to a realm of awe-inspiring beauty and timeless adventure.

Let us embark on a journey through New Zealand that mirrors the epic landscapes of Middle-earth, following the footsteps of the fellowship in The Lord of the Rings. This two-week itinerary takes you through breathtaking filming locations, immersing you in the spirit of the trilogy while sampling the country’s rich culture, cuisine, and adventure.

Day 1-2: Auckland and Matamata (Hobbiton)

Begin in Auckland, the City of Sails, where you can explore its harbour and vibrant culinary scene. From there, travel to Matamata to visit the Hobbiton Movie Set, where the charming Shire comes to life. Wander the lush hills and enjoy a feast at the Green Dragon Inn.

Day 3-4: Tongariro National Park (Mount Doom)

Venture south to Tongariro National Park, home to the volcanic landscapes of Mount Doom (Mount Ngauruhoe). Embark on the Tongariro Alpine Crossing, a stunning trek through dramatic scenery featured in Mordor. Relax in nearby Taupō with hot springs and lakeside views.

Day 5-6: Wellington (Rivendell)

Arrive in the nation’s capital, Wellington, where Weta Workshop offers a behind-the-scenes look at the trilogy’s creation. Discover Rivendell’s enchanting setting in Kaitoke Regional Park. Don’t miss Te Papa Museum to learn about New Zealand’s heritage.

Day 7-8: Nelson and Marlborough (Chetwood Forest)

Fly to Nelson on the South Island, gateway to Abel Tasman National Park. Visit the Chetwood Forest filming site and enjoy wine tasting in Marlborough’s vineyards, famed for their Sauvignon Blanc.

Day 9-10: West Coast and Franz Josef Glacier

Travel along the West Coast to Franz Josef Glacier, with its ethereal ice formations. Nearby, you’ll find the beacon lighting scenes filmed against spectacular alpine backdrops.

Day 11-12: Queenstown and Glenorchy (Isengard and Lothlórien)

Head to Queenstown, the adventure capital, and explore Glenorchy, where Isengard, Lothlórien, and Fangorn Forest were brought to life. Ride horseback through these iconic locations or take a jet boat on Dart River.

Day 13-14: Fiordland National Park (Fangorn Forest and Anduin River)

Conclude your journey in Fiordland, with a cruise through the majestic Milford Sound, resembling the Anduin River. Soak in the tranquility of this wilderness before returning to Queenstown.

Throughout the journey, indulge in local cuisine like pavlova, lamb, and green-lipped mussels. Stay in boutique lodges, cosy cabins, or even hobbit-themed accommodations. By road, rail, and air, you’ll traverse a landscape that feels as mythical as Tolkien’s tales themselves. Let this itinerary be your map to Middle-earth—an unforgettable adventure awaits!

#newzealand #thelordoftherings #itenerary #travel #milfordsound #franzjosefglacier

© Jagat Singh Bisht

(Master Teacher: Happiness & Well-Being, Laughter Yoga Master Trainer, Author, Blogger, Educator, and Speaker.)

Founder:  LifeSkills

A Pathway to Authentic Happiness, Well-Being & A Fulfilling Life! We teach skills to lead a healthy, happy and meaningful life.

The Science of Happiness (Positive Psychology), Meditation, Yoga, Spirituality and Laughter Yoga. We conduct talks, seminars, workshops, retreats and training.

Please feel free to call/WhatsApp us at +917389938255 or email [email protected] if you wish to attend our program or would like to arrange one at your end.

≈ Editor – Shri Hemant Bawankar/Editor (English) – Captain Pravin Raghuvanshi, NM ≈




हिन्दी साहित्य – आलेख ☆ अभी अभी # 557 ⇒ बादाम के दाम ☆ श्री प्रदीप शर्मा ☆

श्री प्रदीप शर्मा

(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए साप्ताहिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपका आलेख – “बादाम के दाम।)

?अभी अभी # 557 ⇒ बादाम के दाम ? श्री प्रदीप शर्मा  ?

सभी जानते हैं, यह आम का नहीं, बादाम का मौसम है, और बादाम का जन्म आम आदमी के लिए नहीं हुआ है। जब से यह आम भी कुछ खास हुआ है, बादाम भी थोड़ा थोड़ा आम हुआ है। आम आदमी भी आजकल, कम से कम, मैंगो शेक और बादाम शेक तो पीने लायक हो ही गया है।

आम अगर फलों का राजा है, तो बादाम सिर्फ़ एक ड्राई फ्रूट यानी सूखा मेवा! ड्राई फ्रूट मतलब रस हीन फल! जिनका जीवन वैसे ही नीरस है, उनका काम ड्राई फ्रूट अथवा सूखे मेवे से नहीं चलता, और जिन्हें अपना गला तर करना होता है, वहाँ देश, काल और परिस्थिति नहीं देखी जाती और अंगूर की बेटी का हाथ थाम लिया जाता है। एक बार जब गला तर होता है, तो कुछ चखना भी पड़ता है। जिन्होंने कभी चखी ही नहीं, वे क्या जानें चखना का स्वाद! हां, जहां माले मुफ़्त बेरहम होता है वहां भुने हुए काजू बादाम भी चखना का ही काम करते हैं।।

लेकिन जो रसिक और शौकीन चखने में विश्वास नहीं रखते, उनके लिए अगर ठंड में बादाम के जलवे हैं, तो गर्मी में हमारे आम के भी ठाठ निराले हैं। गर्मी में अगर आमरस पूड़ी, तो ठंड में बादाम का हलवा। लेकिन बस आम आदमी बादाम के दाम सुनकर ही बिदक जाता है।

आम के आम और गुठलियों के दाम! लेकिन आम आदमी गुठलियों के दाम की चिंता नहीं करता, आम चूसता है और छिलका और गुठली फेंक देता है। बेचारी बादाम, क्या नहाए और क्या निचोड़े! उसका तो छिलका क्या निकला, वह सिर्फ बादाम की गिरी बनकर रह गई। लेकिन उसके दाम के कारण ही उसे समाज में वह इज्जत और सम्मान प्राप्त है जो फलों के राजा को भी नहीं।।

बादाम के दाम चुकाने के बाद भी अगर हम बादाम के गुणों की तारीफ नहीं करें, तो हम उसके साथ न्याय नहीं कर रहे। पांच वर्ष की उम्र से हम सुनते आ रहे हैं कि रोज सुबह पांच भीगी हुई बादाम खाना चाहिए उससे सेहत और मस्तिष्क दोनों स्वस्थ रहते हैं। आम आपको एक आम इंसान ही बनाए रखता है जब कि बादाम आपको बुद्धिमान भी बनाती है।।

जब हमारे बादाम खाने के दिन थे, तब हम भुने हुए चने और मूंगफली खाकर ही अपनी सेहत बनाते थे। जब सर पर बाल ना हों, और मुंह में दांत, और याददाश्त भी जवाब दे गई हो, तब बादाम की याद आ ही जाती है। देर आयद दुरुस्त आयद।

क्या आप जानते हैं, बादाम का भी तेल निकलता है। कैसा लगता होगा इतनी महंगी बादाम को, जब उसका भी तेल निकलता होगा। हम तो यह सोचकर ही हैरान हैं कि जो बादाम ही इतनी महंगी है, उसका तेल कितना महंगा होगा।

यहां तो सरसों, मूंगफली और सोयाबीन के तेल के भाव ही आसमान छू रहे हैं। लेकिन अगर कॉस्मेटिक्स के विज्ञापन देखें तो वहां ककड़ी, आंवला, मेंहदी, क्रीम और बादाम साथ साथ नजर आयेंगे। कहीं फेसवॉश तो कहीं मॉइश्चराइजर। पूरा समाजवाद है सौंदर्य जगत के उत्पादों में।।

भले ही इंसान का तेल निकल जाए फिर भी कुछ लोग नियमित रूप से बादाम का तेल सर में लगाते हैं और उसी तेल से बदन की मालिश भी करते हैं। जान है तो जहान है। यह जनम ना मिलेगा दोबारा। पैसे को हाथ का मैल यूं ही नहीं कहा गया है। अगर आप अफोर्ड कर सकते हैं तो हम कोई आपको फोर्ड खरीदने का नहीं कह रहे, सिर्फ एक चम्मच बादाम का तेल गर्मागर्म दूध में लेकर देखें। बादाम में दम है ..! !

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© श्री प्रदीप शर्मा

संपर्क – १०१, साहिल रिजेंसी, रोबोट स्क्वायर, MR 9, इंदौर

मो 8319180002

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈




हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ सलिल प्रवाह # 215 कविता – एक-दूजे का ध्यान रखें ☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆

आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

(आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ जी संस्कारधानी जबलपुर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। आपको आपकी बुआ श्री महीयसी महादेवी वर्मा जी से साहित्यिक विधा विरासत में प्राप्त हुई है । आपके द्वारा रचित साहित्य में प्रमुख हैं पुस्तकें- कलम के देव, लोकतंत्र का मकबरा, मीत मेरे, भूकंप के साथ जीना सीखें, समय्जयी साहित्यकार भगवत प्रसाद मिश्रा ‘नियाज़’, काल है संक्रांति का, सड़क पर आदि।  संपादन -८ पुस्तकें ६ पत्रिकाएँ अनेक संकलन। आप प्रत्येक सप्ताह रविवार को  “साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह” के अंतर्गत आपकी रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपकी विचारणीय कविता एक-दूजे का ध्यान रखें)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह # 215 ☆

☆ कविता – एक-दूजे का ध्यान रखें ☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆

हर इंसां हो एक समान.

अलग नहीं हों नियम-विधान..

कहीं बसें हो रोक नहीं-

खुश हों तब अल्लाह-भगवान..

*

जिया वही जो बढ़ता है.

सच की सीढ़ी चढ़ता है..

जान अतीत समझता है-

राहें-मंजिल गढ़ता है..

*

मिले हाथ से हाथ रहें.

उठे सभी के माथ रहें..

कोई न स्वामी-सेवक हो-

नाथ न कोई अनाथ रहे..

*

सबका मालिक एक वही.

यह सच भूलें कभी नहीं..

बँटवारे हैं सभी गलत-

जिए योग्यता बढ़े यहीं..

*

हम कंकर हैं शंकर हों.

कभी न हम प्रलयंकर हों.

नाकाबिल-निबलों को हम

नाहक ना अभ्यंकर हों..

*

जनता अब इन्साफ करे.

नेता को ना माफ़ करे..

पकड़ सिखाये सबक सही-

राजनीति को राख करे..

*

सबको मिलकर रहना है.

सुख-दुख संग-संग सहना है..

मजहब यही बताता है-

यही धर्म का कहना है..

*

एक-दूजे का ध्यान रखें.

स्वाद प्रेम का ‘सलिल’ चखें.

दूध और पानी जैसे-

दुनिया को हम एक दिखें..

©  आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

संपर्क: विश्ववाणी हिंदी संस्थान, ४०१ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन, जबलपुर ४८२००१,

चलभाष: ९४२५१८३२४४  ईमेल: [email protected]

 संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈




ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (23 दिसंबर से 29 दिसंबर 2024) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

विज्ञान की अन्य विधाओं में भारतीय ज्योतिष शास्त्र का अपना विशेष स्थान है। हम अक्सर शुभ कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त, शुभ विवाह के लिए सर्वोत्तम कुंडली मिलान आदि करते हैं। साथ ही हम इसकी स्वीकार्यता सुहृदय पाठकों के विवेक पर छोड़ते हैं। हमें प्रसन्नता है कि ज्योतिषाचार्य पं अनिल पाण्डेय जी ने ई-अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के विशेष अनुरोध पर साप्ताहिक राशिफल प्रत्येक शनिवार को साझा करना स्वीकार किया है। इसके लिए हम सभी आपके हृदयतल से आभारी हैं। साथ ही हम अपने पाठकों से भी जानना चाहेंगे कि इस स्तम्भ के बारे में उनकी क्या राय है ? 

☆ ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (23 दिसंबर से 29 दिसंबर 2024) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

एक दिन हमने वर्ष 2024 में प्रवेश किया था और और अब यह साप्ताहिक राशिफल वर्ष 2024 का अंतिम राशिफल है। काल निरंतर गतिमान है और हमें उसकी गति से ही चलना पड़ता है। अगर हम उसकी गति और सही दिशा में चलते रहते हैं तो सफल होते हैं। सही समय की सही दिशा बताने के लिए मैं पंडित अनिल पाण्डेय आपके पास हर सप्ताह साप्ताहिक राशिफल लेकर प्रस्तुत होता हूं। आज मैं आपको 23 दिसंबर से 29 दिसंबर 2024 तक के सप्ताह के साप्ताहिक राशिफल के बारे में बताऊंगा। मगर सबसे पहले इस सप्ताह जन्म लिए बच्चों के भविष्य के बारे में चर्चा की जाएगी।

सप्ताह के प्रारंभ से लेकर 25 तारीख को 1:55 am रात तक जन्म लिए बच्चों की राशि कन्या रहेगी। यह बच्चे शत्रुहन्ता भाग्यशाली और प्रतिष्ठावांन होंगे। 25 तारीख के 1:55 a.m रात से लेकर 27 तारीख के 1:30 पीएम दिन तक जन्म लिए बच्चों की राशि तुला होगी। यह बच्चे भाई बहनों के प्रिय और समाज में उनकी बड़ी प्रतिष्ठा रहेगी। 27 तारीख के 1:30 पीएम दिन से लेकर 29 तारीख को 11:30 पीएम रात तक जन्म लेने वाले बालकों की राशि वृश्चिक रहेगी। यह बच्चे उत्तम व्यापारी धनी और समाज में बड़ी प्रतिष्ठा वाले होंगे।

आइये अब हम राशिवार राशिफल की चर्चा करते हैं।

मेष राशि

इस सप्ताह कार्यालय में आपकी स्थिति अच्छी रहेगी। भाग्य आपका साथ देगा। धन आने की उम्मीद है। माताजी और पिताजी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। आपका और आपके जीवनसाथी का स्वास्थ्य सामान्य रहेगा। आपको इस सप्ताह अपने संतान से सहयोग नहीं मिल पाएगा। इस सप्ताह आपके लिए 25, 26 और 27 की दोपहर तक का समय उत्तम है। सप्ताह के बाकी दिनों में आपको कोई भी कार्य सावधानी पूर्वक करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन काले कुत्ते को रोटी खिलाएं। सप्ताह का शुभ दिन बृहस्पतिवार है।

वृष राशि

 इस सप्ताह आप कार्यालय के कार्यों में सफल रहेंगे। भाग्य से आपको मदद मिल सकती है। गलत रास्ते से धन आने का योग है। आपको अपनी संतान से सहयोग प्राप्त होगा। छात्रों के पढ़ाई ठीक-ठाक चलेगी। व्यापार ठीक चलेगा। माता जी को कष्ट हो सकता है। भाई बहनों के साथ संबंध ठीक रहेंगे। इस सप्ताह आपको 25, 26 और 27 को सतर्क रहकर काम करना चाहिए। 27, 28 और 29 दिसंबर को आपके जीवनसाथी को कष्ट हो सकता है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन शुक्रवार है।

मिथुन राशि

इस सप्ताह भाग्य आपका साथ देगा। जीवनसाथी का और आपका स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। माता-पिता जी को तकलीफ हो सकती है। धन आने का सामान्य योग है। कचहरी के कार्यों में रिस्क ना लें। आपको अपने संतान से कोई खास मदद नहीं मिल पाएगी। इस सप्ताह आपके लिए 23 और 24 दिसंबर किसी भी कार्य को करने के लिए शुभ है। 27 के दोपहर के बाद से लेकर 28 और 29 तारीख को अगर आप बीमार हैं तो आप स्वस्थ होने लगेंगे। शत्रुओं पर आप विजय प्राप्त कर सकते हैं। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

कर्क राशि

अगर आप अविवाहित हैं तो विवाह के अच्छे प्रस्ताव आएंगे। प्रेम संबंधों में वृद्धि होगी। भाग्य से आपको कोई मदद नहीं मिल पाएगी। अगर आप प्रयास करेंगे तो आप शत्रुओं को पराजित कर सकते हैं। इस सप्ताह आपके लिए 25, 26 और 27 की दोपहर तक का समय किसी भी कार्य को करने के लिए लाभदायक है। 27 के दोपहर के बाद से 28 और 29 तारीख को आपके संतान को कष्ट हो सकता है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन लाल मसूर की दाल का दान करें तथा मंगलवार को हनुमान जी के मंदिर में जाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

सिंह राशि

कार्यालय में आपकी स्थिति सामान्य रहेगी। जीवनसाथी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। आपको थोड़ा कष्ट हो सकता है। कचहरी के कार्यों में आपको सफलता मिल सकती है। अगर आपके ऊपर ऋण है तो वह कम हो सकता है। आपको अपने संतान से अच्छा सहयोग प्राप्त होगा। इस सप्ताह आपके लिए सप्ताह के सभी दिन सामान्य हैं। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन भगवान शिव का दूध और जल के साथ अभिषेक करें। सप्ताह का शुभ दिन मंगलवार है।

कन्या राशि

इस सप्ताह अगर आप प्रयास करेंगे तो आप अपने शत्रुओं को परास्त कर सकते हैं। आपको अपने संतान से अच्छा सहयोग प्राप्त होगा। भाग्य ठीक-ठाक है। इस सप्ताह आपके प्रतिष्ठा में वृद्धि हो सकती है। लंबी यात्रा का योग भी बन सकता है। इस सप्ताह आपके लिए 23, और 24 दिसंबर किसी भी कार्य को करने के लिए लाभ वर्धक हैं। सप्ताह के बाकी दिन सामान्य हैं। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप गरीबों के बीच में कंबल का दान दें। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

तुला राशि

इस सप्ताह आपके प्रतिष्ठा में वृद्धि हो सकती है। आपको अपने संतान से सहयोग प्राप्त होगा। भाई बहनों से भी आपके सहयोग प्राप्त हो सकता है। आपका आपके जीवनसाथी का और माता-पिता जी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। इस सप्ताह आपके लिए 25, 26 और 27 की दोपहर तक का समय ठीक है। इस सप्ताह आपको धन की प्राप्ति हो सकती है। 23 और 24 तारीख को आपको सावधान रहकर कार्य करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन उड़द की दाल का गरीबों के बीच में दान करें। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

वृश्चिक राशि

इस सप्ताह आपके व्यापार में प्रगति हो सकती है। अविवाहित जातकों के विवाह के प्रस्ताव आ सकते हैं। आपकी प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। भाग्य से आपको मदद मिल सकती है। धन प्राप्त होने की आशा है। इस सप्ताह आपके लिए 25, 26 और 27 की दोपहर तक का समय सावधान रहने का है। इस सप्ताह आपके स्वास्थ्य में थोड़ी गिरावट आ सकती है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि गरीबों के बीच में शक्कर का दान दें तथा मंदिर के पुजारी जी को सफेद वस्तुओं का दान दें। सप्ताह का शुभ दिन मंगलवार है।

धनु राशि

इस सप्ताह आपका और आपके जीवनसाथी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। माता-पिता जी को परेशानी हो सकती है। भाई बहनों के साथ संबंध ठीक रहेंगे। धन आने की उम्मीद है। कार्यालय में आपकी स्थिति ठीक रहेगी। इस सप्ताह आपके लिए 23 और 24 दिसंबर किसी भी कार्य को करने के लिए उपयुक्त हैं। 27, 28 और 29 दिसंबर को आपको कचहरी के कार्यों में सफलता प्राप्त हो सकती है। परंतु यह सफलता तभी प्राप्त होगी तब आप पूरी सावधानी से कार्य करेंगे। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप काली उड़द का दान दें और शनिवार को शनि मंदिर में जाकर पूजा पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन मंगलवार है।

मकर राशि

इस सप्ताह आपका और आपके जीवनसाथी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। कचहरी के कार्यों में सफलता मिल सकती है। धन आ सकता है। भाई बहनों के साथ तनाव होगा। लंबी यात्रा का योग है। भाग्य साथ देगा। इस सप्ताह आपके लिए 25, 26 और 27 की दोपहर तक का समय किसी भी कार्य को करने के लिए उपयुक्त है। 27 तारीख के दोपहर के बाद से 28 और 29 तारीख को धन संबंधी कोई भी कार्य करने में सावधानी बरतें। सप्ताह का शुभ दिन शुक्रवार है।

कुंभ राशि

सप्ताह आपके पास धन आने का अच्छा योग है। कचहरी के कार्यों में सफलता मिलेगी। भाग्य थोड़ा कम साथ देगा। पिताजी माता जी का स्वास्थ्य सामान्य रहेगा। जीवनसाथी को कष्ट हो सकता है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप 23 और 24 तारीख को सावधानी पूर्वक कार्य करें। 27, 28 और 29 तारीख को राज्य या कार्यालय संबंधी कोई कार्य करने में बहुत सावधानी बरतें। पिताजी का ख्याल रखें। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन रुद्राष्टक का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

मीन राशि

इस सप्ताह कार्यालय में आपकी प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। धन आने की उम्मीद की जा सकती है। भाग्य आपका सामान्य रूप से साथ देगा। छात्रों की पढ़ाई में कुछ बाधा पड़ सकती है। कचहरी के कार्यों में सावधानी बरतें। इस सप्ताह आपके लिए 23 और 24 दिसंबर किसी भी कार्य को करने के लिए उपयुक्त है। इसके अलावा सप्ताह के बाकी सभी दिन आपको सावधान रहकर कार्य करने की आवश्यकता है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन शिव पंचाक्षरी मंत्र का जाप करें। सप्ताह का शुभ दिन मंगलवार है।

ध्यान दें कि यह सामान्य भविष्यवाणी है। अगर आप व्यक्तिगत और सटीक भविष्वाणी जानना चाहते हैं तो आपको मुझसे दूरभाष पर या व्यक्तिगत रूप से संपर्क कर अपनी कुंडली का विश्लेषण करवाना चाहिए। मां शारदा से प्रार्थना है या आप सदैव स्वस्थ सुखी और संपन्न रहें। जय मां शारदा।

 राशि चिन्ह साभार – List Of Zodiac Signs In Marathi | बारा राशी नावे व चिन्हे (lovequotesking.com)

निवेदक:-

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

(प्रश्न कुंडली विशेषज्ञ और वास्तु शास्त्री)

सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता, मध्यप्रदेश विद्युत् मंडल 

संपर्क – साकेत धाम कॉलोनी, मकरोनिया, सागर- 470004 मध्यप्रदेश 

मो – 8959594400

ईमेल – 

यूट्यूब चैनल >> आसरा ज्योतिष 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈




मराठी साहित्य – कवितेचा उत्सव ☆ पारपत्र… ☆ श्री हरिश्चंद्र कोठावदे ☆

श्री हरिश्चंद्र कोठावदे

? कवितेचा उत्सव ?

पारपत्र ☆ श्री हरिश्चंद्र कोठावदे ☆

(अनलज्वाला)

सूर न जुळला जनी म्हणूनी विजनी आलो

मीच माझिया एकांताची सरगम झालो

*

स्वच्छ चेहरा स्वच्छ आरसा माझा आहे

प्रतिबिंबाहुन आहे सुंदर.. कधी म्हणालो?

*

नाही वंशज मी सूर्याचा.. मान्यच आहे

अंगणात पण अंधाराच्या पणती झालो

*

किती काळ मी उरी जपावी तुमची गुपिते

किल्मिष सारे घेता पोटी.. समुद्र झालो

*

स्वप्नामधले वचन पाळले.. त्याची शिक्षा

डोंबाघरचे भरण्या पाणी.. तयार झालो

*

उघडताच तो तिसरा डोळा…होइल तांडव

डिवचु नका रे भोळ्या सांबा.. सांगत आलो

*

अनवाणी ही वारी माझी.. आता खंडित

विठू तोतया, छद्म पंढरी.. सावध झालो

*

गावशिवेतुन हकालपट्टी झाल्यानंतर

पारपत्र मी दाहि दिशांचे घेउन आलो !

© श्री हरिश्चंद्र कोठावदे

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈




मराठी साहित्य – कवितेचा उत्सव ☆ इडियट… ☆ श्री अनिल वामोरकर ☆

श्री अनिल वामोरकर

? कवितेचा उत्सव ?

☆ इडियट… ☆ श्री अनिल वामोरकर ☆

गृप अनेक

सुविचार ही भरपूर

उठल्यापासून झोपेपर्यंत…

*

सणावारी किंवा

विशेष दिनी

रेलचेल फोटोंची

मोबाईल हॅंग होईपर्यंत…

*

चॅटींग, काॅल

विडीओ काॅल सुद्धा

उसंत नाही क्षणाची

बॅटरी डाउन होईपर्यंत…

*

नातवाचं खेळणं

लहान मुलांची लंगोट तपासणं‌ तस

वारंवार मोबाईल पाहाणं

अधीन जग, मरेपर्यंत..

© श्री अनिल वामोरकर

अमरावती

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित  ≈