कैप्टन प्रवीण रघुवंशी, एन एम्

(हम कैप्टन प्रवीण रघुवंशी जी द्वारा ई-अभिव्यक्ति के साथ उनकी साहित्यिक और कला कृतियों को साझा करने के लिए उनके बेहद आभारी हैं। आईआईएम अहमदाबाद के पूर्व छात्र कैप्टन प्रवीण जी ने विभिन्न मोर्चों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर एवं राष्ट्रीय स्तर पर देश की सेवा की है। वर्तमान में सी-डैक के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और एचपीसी ग्रुप में वरिष्ठ सलाहकार के रूप में कार्यरत हैं साथ ही विभिन्न राष्ट्र स्तरीय परियोजनाओं में शामिल हैं।)

कैप्टन प्रवीण रघुवंशी जी  द्वारा श्री संजय भारद्वाज जी की कविता “ अंत्येष्टि ”  का अंग्रेजी भावानुवाद  “Funerals?” ई-अभिव्यक्ति  के प्रबुद्ध पाठकों तक पहुँचाने का अवसर एक संयोग है। 

भावनुवादों में ऐसे  प्रयोगों के लिए हम हिंदी, संस्कृत, उर्दू एवं अंग्रेजी भाषाओँ में प्रवीण  कैप्टन  प्रवीण रघुवंशी जी के ह्रदय से आभारी हैं। 

आइए…हम लोग भी इस कविता के मूल हिंदी  रचना के साथ-साथ अंग्रेजी में भी आत्मसात करें और अपनी प्रतिक्रियाओं से कैप्टन प्रवीण रघुवंशी जी  को परिचित कराएँ।

]☆ श्री संजय भरद्वाज जी  की मूल रचना – अंत्येष्टि ☆

 

उसने जलाया

इसने दफनाया,

उसने कुएँ में लटकाया

इसने नदी में बहाया,

आत्मा की शांति के

शीर्षक तले

अपनी-अपनी

संतुष्टि की कवायदें…!

 

  • संजय भारद्वाज

(कवितासंग्रह *मैं नहीं लिखता कविता* से)

 

☆  English Version  of  Poem of  Shri Sanjay Bhardwaj ☆ 

☆  “Funerals – by Captain Pravin  Raghuwanshi 

He cremated it,

They buried it,

Few hung it in the well

Others flowed it in the river,

Under the garb of

Peace of soul

Everyone carried out drills

for their own satisfaction…!

 

© Captain Pravin Raghuvanshi, NM

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वीनु जमुआर

आत्म संतुष्टि की कवायद…सुंदर अभिव्यक्ति!