अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस विशेष
श्रीमती सिद्धेश्वरी सराफ ‘शीलू’
(संस्कारधानी जबलपुर की श्रीमति सिद्धेश्वरी सराफ ‘शीलू’ जी की लघुकथाओं का अपना संसार है। साहित्य की अन्य विधाओं में भी उनका विशेष दखल है। आज प्रस्तुत है अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर श्रीमती सिद्धेश्वरी जी की यह विशेष कविता “सृष्टि के विधान में नहीं नारी से सुन्दर रचना”। )
☆ अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस विशेष – सृष्टि के विधान में नहीं नारी से सुन्दर रचना ☆
सुंदर सौम्य और शील वेदों का है ये कहना।
सृष्टि के विधान में नहीं नारी से सुन्दर रचना
बेटी बहन और मां के रूप में
ममता और त्याग का सहना
पाकर सौभाग्य शृंगार जगत में
हँसते हँसते दुख-सुख सहना
सृष्टि के विधान में नहीं नारी से सुंदर रचना
पिता के घर बेटी के रूप में
प्रकृति का अनमोल खजाना
जब जाए पति के घर में
पहन कर्तव्यों का गहना
सृष्टि के विधान में नहीं नारी से दूसरी रचना
पता चला कन्या भ्रूण है कोख में
पेट में ही चाहा उसको मरवाना
यह है कैसी विडंबना जग में
कैसे होगा उस कन्या का जीना
सृष्टि के विधान में नहीं नारी से दूसरी रचना
स्नेह दया करुणा जीवन में
ममता ही है उसका गहना
त्याग की मूरत बनी है जग में
नए वंश को है उसे जनम देना
सृष्टि के विधान में नहीं नारी से दूसरी रचना
लगा सिंदूरी रंग मांथे में
कर अपने हाथों पे भरोसा
शक्ति रूप में पूजी जाती
सारे जगत में नारी हमेशा
सुंदर सौम्य और शील वेदों का है ये कहना
सृष्टी के विधान में नहीं नारी से सुन्दर रचना
© श्रीमति सिद्धेश्वरी सराफ ‘शीलू’
जबलपुर, मध्य प्रदेश