अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस विशेष
श्री मच्छिंद्र बापू भिसे
(श्री मच्छिंद्र बापू भिसे जी की अभिरुचिअध्ययन-अध्यापन के साथ-साथ साहित्य वाचन, लेखन एवं समकालीन साहित्यकारों से सुसंवाद करना- कराना है। यह निश्चित ही एक उत्कृष्ट एवं सर्वप्रिय व्याख्याता तथा एक विशिष्ट साहित्यकार की छवि है। आप विभिन्न विधाओं जैसे कविता, हाइकु, गीत, क्षणिकाएँ, आलेख, एकांकी, कहानी, समीक्षा आदि के एक सशक्त हस्ताक्षर हैं। आपकी रचनाएँ प्रसिद्ध पत्र पत्रिकाओं एवं ई-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। आप महाराष्ट्र राज्य हिंदी शिक्षक महामंडल द्वारा प्रकाशित ‘हिंदी अध्यापक मित्र’ त्रैमासिक पत्रिका के सहसंपादक हैं। आज प्रस्तुत है अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर उनकी दो विशेष नवसृजित कवितायें “(1) रिश्तों की सर्जक (2) वंदन स्त्री शक्ति ”।)
● रिश्तों की सर्जक ●
एक माँ की चाहत थीं
बेटा मुझे प्राप्त हो
बड़ा बन श्रवण-सा
हमेशा अपने पास हो।
एक बहन ने ईश से
बड़ी अरज एक की
भाई बन कृष्ण-सा
लाज राखे राखी की।
चाची ने मिठाई बाँटी
भतीजा नहीं वह मेरा
बहन का बेटा ही सही
आँखों का है चमकता तारा।
दादी की खुशियाँ न्यारी
पोते से आँगन खिल गया
झोली भर-भर आशीष देती
घर का दीप बन जाग गया।
नानी आईं झूला लेकर
नाती मेरा झूलेगा
दीठ उतारे वारंवार
जब भी गोद आएगा।
बुआ का ईठलाना
भानजा भाई-सा दुलारा
सोच-सोच नाम रखा
जैसा हो नव ध्रुवतारा।
मामी ने तो कहर ढाया
देख मुझे जमाई बनाया
जब भी गाँव से खो गया
मामी के आँगन में पाया।
खुद के होने की खुशियों में
मैं तुझे कैसे भूल गया
दुनिया की चकाचौंध में
यह अपराध मुझसे हो गया।
● वंदन स्त्री शक्ति ●
सोचता हूँ….अगर
यह रिश्तों की सृजक न होते
सुंदर रिश्तों की
यह अटूट डोर के सहारे न होते।
सौरी में पैरों रख
बड़े प्यार-से नहलाना
कईं रातें कहानियाँ सुनाना
राखी का इंतजार करवाना
अपनों को छोड़ औरों के
आँगन की तुलसी बनना
और जब
साँस छूटे तो
अर्थी के पीछे
एक दीप के लिए
कई दीप जलाना
फिर यह संसार में
कभी न होता
अगर तू न होती,
और किसी बेटे की
कोई छाया न होती।
हर रिश्ता शुरू है आपसे
और अंत भी है आपसे,
वंदन तुम्हें स्त्री शक्ति
ईश से पहले
सम्मान हो तुम्हारा
ईश की भी साँस के पहले।
© मच्छिंद्र बापू भिसे
भिराडाचीवाडी, डाक भुईंज, तहसील वाई, जिला सातारा – ४१५ ५१५ (महाराष्ट्र)
मोबाईल नं.:9730491952 / 9545840063
ई-मेल: [email protected] , [email protected]
बहुत खूब अभिनंदन
बहुत उम्दा कविताएँ। हार्दिक बधाई