श्रीमती कृष्णा राजपूत ‘भूमि’
( श्रीमती कृष्णा राजपूत ‘भूमि’ जी एक आदर्श शिक्षिका के साथ ही साहित्य की विभिन्न विधाओं जैसे गीत, नवगीत, कहानी, कविता, बालगीत, बाल कहानियाँ, हायकू, हास्य-व्यंग्य, बुन्देली गीत कविता, लोक गीत आदि की सशक्त हस्ताक्षर हैं। विभिन्न पुरस्कारों / सम्मानों से पुरस्कृत एवं अलंकृत हैं तथा आपकी रचनाएँ आकाशवाणी जबलपुर से प्रसारित होती रहती हैं। आज प्रस्तुत है अतिसुन्दर गीत “सजल ”। इस अतिसुन्दर गीत के लिए श्रीमती कृष्णा जी बधाई की पात्र हैं।)
☆ सजल ☆
प्रिया तुम्हारे प्यार में, बनने लगे कबीर
बढ़ती हैं पींगें नयी, मनवा हुआ अधीर
आँखें अपलक जोहतीं, बाट गगन के तीर
सूनी राहें देख के, नयन बहाएँ नीर
हरिदर्शन पाऊँ भला, कहाँ हमारे भाग्य
उर में छवि घनश्याम की, मनवा धरे न धीर
काव्य कला समझे नहीं, नहीं शिल्प का ज्ञान
भाव – भाव सुरभित सुमन, शब्द – शब्द में पीर
जीवन जीने की कला, रखें संतुलित दृष्टि
रखें धीर दुख में, रहें सुख में भी गंभीर।
© श्रीमती कृष्णा राजपूत ‘भूमि ‘
अग्रवाल कालोनी, गढ़ा रोड, जबलपुर -482002 मध्यप्रदेश