श्री जय प्रकाश पाण्डेय
(श्री जयप्रकाश पाण्डेय जी की पहचान भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी के अतिरिक्त एक वरिष्ठ साहित्यकार की है। वे साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनके व्यंग्य रचनाओं पर स्व. हरीशंकर परसाईं जी के साहित्य का असर देखने को मिलता है। परसाईं जी का सानिध्य उनके जीवन के अविस्मरणीय अनमोल क्षणों में से हैं, जिन्हें उन्होने अपने हृदय एवं साहित्य में सँजो रखा है । प्रस्तुत है साप्ताहिक स्तम्भ की अगली कड़ी में wishw कविता दिवस पर उनकी विशेष कविता “ जीवन प्रवाह ”। आप प्रत्येक सोमवार उनके साहित्य की विभिन्न विधाओं की रचना पढ़ सकेंगे।)
☆ जय प्रकाश पाण्डेय का सार्थक साहित्य # 39 ☆
☆ विश्व कविता दिवस विशेष – जीवन -प्रवाह ☆
और सबसे बड़ा होता है पानी।
तुम आग पानी से बच गए,
तो तुम्हारे काम की चीज़ है धरती ।
धरती से पहचान कर लोग ,
तो हवा भी मिल सकती है ,
धरती के आंचल से लिपट लोगे
तो रोशनी में पहचान बन सकती है ,
तुम चाहो तो धरती की गोद में ,
पांव फैलाकर सो भी सकते हो ,
धरती को नाखूनों से खोदकर ,
अमूल्य रत्नों को भी पा सकते हो ,
या धरती में खड़े होकर ,
अथाह समुद्र नाप भी सकते हो ,
तुम मन भर जी भी सकते हो ,
धरती पकडे यूं मर भी सकतेहो ,
कोई फर्क नहीं पड़ता ,
यदि जीवन खतम होने लगे ,
असली बात तो ये है कि ,
धरती पर जीवन प्रवाह चलता रहे
© जय प्रकाश पाण्डेय