मानवीय एवं राष्ट्रीय हित में रचित रचना
श्री माधव राव माण्डोले “दिनेश”
(आज प्रस्तुत है श्री माधव राव माण्डोले “दिनेश” जी की एक समसामयिक कविता आवश्यक सेवाकर्मी कर्मचारी – नमन है! अभिवादन है! सलाम है!)
☆ आवश्यक सेवाकर्मी कर्मचारी – नमन है! अभिवादन है! सलाम है! ☆
नमन है, अभिवादन है, सलाम है
डॉक्टर, पुलिस, अति आवश्यक सेवा कर्मचारी
कोरोना से बचाने – सर्वशक्तिमान आया है..।
तेरी आस्था और तेरे विश्वास से,
तुझे बचाने देख सर्वशक्तिमान आया है..।
न बाहर निकल तू घर से,
कोरोना ने बाहर मौत का बाजार लगाया है..।
पहचान उसे,
तेरी और तेरे अपनो की रक्षा के लिए,
अस्पतालों में उसने अपना घर बनाया है..।
न बाहर निकल तू घर से,
कोरोना ने बाहर मौत का बाजार लगाया है..।
पहचान उसे,
सुन है पंक्षी तू आजादी के,
लक्ष्मण रेखा से बांधा है उसने, तुझे घर में,
न बाहर निकल तू घर से,
कोरोना ने बाहर मौत का बाजार लगाया है..।
पहचान उसे,
न तोड़ मर्यादा लक्ष्मण रेखा की,
डंडे से काबू में तुझे रखने द्वारपाल बनकर आया है..।
न बाहर निकल तू घर से,
कोरोना ने बाहर मौत का बाजार लगाया है..।
पहचान उसे,
न तू भूखा रहे,
खान-पान, धन-धान्य का उसने बाजार लगाया है..।
पहचान उसे,
कैसे जिया जाये वर्तमान में,
तुझे सिखाने बनकर प्रशासन आया है..।
पहचान उसे,
जिस धरा पर तू जीता था शान से,
न संभला न समझा अब भी,
सो जायेगा नीचे उसी धरा में शान्ति से,
न बाहर निकल तू घर से,
कोरोना ने बाहर मौत का बाजार लगाया है..।
तेरी आस्था और तेरे विश्वास से,
तुझे बचाने देख सर्वशक्तिमान आया है..।
© माधव राव माण्डोले “दिनेश”, भोपाल
(श्री माधव राव माण्डोले “दिनेश”, दि न्यू इंडिया एश्योरंस कंपनी, भोपाल में उप-प्रबन्धक हैं।)