मानवीय एवं राष्ट्रीय हित में रचित रचना

हेमन्त बावनकर

(आज मानवता अत्यंत कठिन दौर से गुजर रही है।  कई दिनों से  कोरोना की महामारी से सम्बंधित साहित्य पढ़ रहा हूँ एवं मात्र सकारात्मक एवं प्रेरक साहित्य सम्पादित कर आप तक पहुँचाने का प्रयास कर रहा हूँ। वैसे मैं मराठी  भाषी हूँ किन्तु मराठी भाषा में कदापि दक्ष नहीं हूँ।

श्री सुजित कदम जी की कविता तिला खात्री आहे…!  का हिंदी भावानुवाद करने से स्वयं को नहीं रोक पाया ।  इस त्वरित भावानुवाद में कोई त्रुटि रह गई हो तो क्षमा चाहूंगा। कृपया कोरोना रोगियों की सेवा में सेवारत कर्मियों के अंतर्द्वंद्व को समझने  एवं आत्मसात करने का प्रयत्न करें । वे भी हमारी तरह मानवीय संवेदनाएं रखते हैं । श्री सुजित कदम जी की लेखनी को सादर नमन। )

श्री सुजित कदम जी की मराठी कविता – तिला खात्री आहे…! का हिंदी भावानुवाद

☆  उसे विश्वास है ….! ☆

आज चार और

कोरोना ग्रस्त रोगियों को

अस्पताल में

भर्ती करते समय ही

पत्नी का फोन आया ..

पिछले पंद्रह दिनों से

वह यही प्रश्न पूछ रही है

आज तो आप

घर आओगे न …?

यह सुनकर,

पलकों में भर आये

आँखों से आंसू

चेहरे पर लगे मास्क के भीतर

कब आ गए

पता ही नहीं चला।

 

एक क्षण को लगा

आज ही छोड़ दूँ

देखना गुजरना

इस कोरोना की महामारी से।

 

मैं पुनः घर आ रहा हूं या नहीं

मैं नहीं जानता  ….

 

पिछले पंद्रह दिनों की तरह,

मैं बिना कुछ कहे

फोन रख देता हूँ …

किन्तु,

उसका प्रत्येक दिन

फोन करके यह पूछना

रुकता ही नहीं

कदाचित  …

उसे विश्वास है

मैं पुनः घर अवश्य आऊंगा!

 

© हेमन्त बावनकर, पुणे 

image_print
5 1 vote
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments