श्रीमती कृष्णा राजपूत ‘भूमि’  

श्रीमती कृष्णा राजपूत ‘भूमि’ जी  एक आदर्श शिक्षिका के साथ ही साहित्य की विभिन्न विधाओं जैसे गीत, नवगीत, कहानी, कविता, बालगीत, बाल कहानियाँ, हायकू,  हास्य-व्यंग्य, बुन्देली गीत कविता, लोक गीत आदि की सशक्त हस्ताक्षर हैं। विभिन्न पुरस्कारों / सम्मानों से पुरस्कृत एवं अलंकृत हैं तथा आपकी रचनाएँ आकाशवाणी जबलपुर से प्रसारित होती रहती हैं। आज प्रस्तुत है  आपकी एक अतिसुन्दर और  मौलिक कविता नारी अनुशासन की जानी।  श्रीमती कृष्णा जी ने  इस कविता के माध्यम से नारी शक्ति पर अपने विचार प्रस्तुत किये हैं ।  इस अतिसुन्दर रचना के लिए श्रीमती कृष्णा जी बधाई की पात्र हैं।) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – कृष्णा साहित्य # 23 ☆

☆ कविता  – नारी अनुशासन की जानी  ☆

 

नारी अनुशासन की जानी

बिगड़ी बात बना के  मानी

 

फँसी भँवर हिम्मत न हारती

नैया पार लगाना  है ठानी

 

अतीत बुरा बातें पुरानी

छोड़ो सभी बातें उबानी

 

आने वाला कल का सवेरा

सुखद सभी हों स्वाभिमानी

 

अज्ञानता  क्षीरण हो जाए

ज्ञान के चक्षु खोले वाणी

 

नदियों का कलरव झरनों ने

हिलमिल सबने खुशी बखानी

 

पाषाणी ह्रदय है हठीला

आँखें करती बेईमानी

 

मौन मनन करता है जब जब

गहरी थाह पढे जब ज्ञानी

 

© श्रीमती कृष्णा राजपूत  ‘भूमि ‘

अग्रवाल कालोनी, गढ़ा रोड, जबलपुर -482002 मध्यप्रदेश

image_print
0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments