श्रीमती छाया सक्सेना ‘प्रभु’
( ई-अभिव्यक्ति में संस्कारधानी की सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्रीमती छाया सक्सेना ‘प्रभु’ जी द्वारा “व्यंग्य से सीखें और सिखाएं” शीर्षक से साप्ताहिक स्तम्भ प्रारम्भ करने के लिए हार्दिक आभार। आप अविचल प्रभा मासिक ई पत्रिका की प्रधान सम्पादक हैं। कई साहित्यिक संस्थाओं के महत्वपूर्ण पदों पर सुशोभित हैं तथा कई पुरस्कारों / अलंकरणों से पुरस्कृत / अलंकृत हैं। आपके साप्ताहिक स्तम्भ – व्यंग्य से सीखें और सिखाएं में आज प्रस्तुत है एकअतिसुन्दर समसामयिक रचना “जागते रहो”। इस सार्थक रचना के लिए श्रीमती छाया सक्सेना जी की लेखनी को नमन ।
आप प्रत्येक गुरुवार को श्रीमती छाया सक्सेना जी की रचना को आत्मसात कर सकेंगे। )
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – व्यंग्य से सीखें और सिखाएँ # 16 ☆
☆ जागते रहो ☆
जागते रहो , जागते रहो कहने- सुनने का दौर तो न जाने कब का चला गया । अब तो लॉक अप को खारिज कर लॉक डाउन का वक्त आ गया है । बड़े बुजुर्ग कहते हैं कि हमेशा उन्नति करो पर ये क्या हमको तो बचने हेतु डाउन होने का सहारा ही एक मात्र उपाय दिख रहा है ।
एक दूसरे को डाउन करने की होड़ तो सदियों से चली आ रही थी । पीकर डाउन , शटर डाउन ,अप डाउन तो जानते थे पर चीनी कृपा से लॉक डाउन कैसा होता है ये जानने व समझने का सौभाग्य आखिरकार मिल ही गया ।
अच्छे दिनों की उम्मीद को थामें हम सभी मन ही मन प्रसन्न थे पर अनुभव यही है कि जब भी कुछ अच्छा होता दिखता है ; तो लोगों की नजर लगते देर नहीं लगती । वैसा ही कुछ सबके साथ हुआ, जाने कहाँ से कोरोना महाराज चीनी चादर ओढ़कर पधार गए और रंग में भंग हो गया। अरे भाई अपना सारा व्यापार तो वे यहीं पर करते थे । होली के रंग से दीवाली की झालर व क्रिसमस ट्री सब आपके बनाये सामानों से ही निखर रहा था । और तो और आपने कृत्रिम नींबू मिर्च भी बना कर सबके घरों और दुकानों तक पहुँचा दिए । लॉफिंग बुद्धा तो वैसे ही ड्राइंग रूम में बैठकर हँसता है कि अपनी सनातनी परंपरा को निभाने के बजाए हम पर विश्वास करते हो । नकली सिक्को की पोटली, कछुआ, बैम्बू , पिरामिड, क्रिस्टल में उन्नति ढूंढ रहे हो , अब भुगतो ।
जब भी कोई समस्या आती है तो साथ में समाधान अवश्य लाती है । ऐसे संकट के दौर में हम लोगों को याद आयी योग व आयुर्वेद की । ॐ मंत्र ने सबको मानसिक संबल दिया । इसी के साथ अपने धर्म ग्रथों का पारायण करते हुए भारतीय संस्कृति से बच्चों को जोड़ने का प्रयास भी इन दिनों लगभग हर घर में चल रहा है । नीम, तुलसी, गिलोय , एलोवेरा, आँवला आदि का सेवन भी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने हेतु किया जा रहा है ।
अभी तो शुरुआत है समय रहते जागो अपने पूर्वजों की थाती पर गर्व करो ।
© श्रीमती छाया सक्सेना ‘प्रभु’
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