(प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ जी के साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक साहित्य ” में हम श्री विवेक जी की चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाने का प्रयास करते हैं। श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र जी, अतिरिक्त मुख्यअभियंता सिविल (म प्र पूर्व क्षेत्र विद्युत् वितरण कंपनी , जबलपुर ) में कार्यरत हैं। तकनीकी पृष्ठभूमि के साथ ही उन्हें साहित्यिक अभिरुचि विरासत में मिली है। उनका कार्यालय, जीवन एवं साहित्य में अद्भुत सामंजस्य अनुकरणीय है। आज प्रस्तुत है श्री विवेक जी का एक अतिसुन्दर गॉसिप आधारित व्यंग्य “ब्रांडेड स्टेटस सिंबल”। श्री विवेक जी की लेखनी को इस अतिसुन्दर व्यंग्य के लिए नमन । )
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक साहित्य # 49 ☆
☆ व्यंग्य – ब्रांडेड स्टेटस सिंबल ☆
सोसायटी में स्टेटस सिंबल के मापदण्ड समय के साथ बदलते रहते हैं. एक जमाना था जब घर के बाहर खड़ी मंहगी गाडी घर वालों का स्टेटस बताती थी.मंहगे बंगले से समाज में व्यक्ति की इज्जत बढ़ती थी. महिलायें क्लब में घर की लक्जरी सुविधाओ जकूजी बाथ सिस्टम, बरगर एलार्म, सी सी टीवी, वगैरह को लेकर या अपनी मंहगी गाड़ी के नये माडल को लेकर बतियातीं थी.जिस बेचारी के पति मारुति ८०० में चलते, वह पति की ईमानदारी के ही गुण गाकर और उनहें मन ही मन कोसकर संतोष कर लेती थी. ननद, भाभियों, बहनो, कालेज के जमाने की सखियों में लम्बी लम्बी मोबाईल वार्ता के विषय गाड़ी, बंगले, फ्लैट रहते थे. पर जब से ई एम आई और निन्यानबे प्रतिशत लोन पर गाडीयो की मार्केटिंग होने लगी है, केवल सैलरी स्लिप पर लाइफ इंश्योरेंस करके बड़े बड़े होम लोन के लिये बैंक स्वयं फोन करने लगे हैं बंगले और गाड़ियां स्टेटस के मुद्दे नही रह गये. फिर मंहगी ब्रांडेड ज्वेलरी, मंहगी घड़ियां,सिल्क और हैण्डलूम की मंहगी साड़ियां चर्चा के विषय बने. किस पार्टी में किसने कितनी मंहगी साड़ी पहनी से लेकर, अरे उसने तो वह साड़ी अमुक की शादी में भी पहनी थी, फेसबुक पर फोटो भी है. हुंह, उसका वह डायमण्ड सैट ब्रांडेड थोड़े था पर बात होने लगी किंतु किश्तों में ज्वैलरी स्कीम्स से वह मजा भी जाता रहा. स्टेटस सिंबल की महिला गासिप फारेन ट्रिप पर केंद्रित हुई,नेपाल, भूटान, मालदीव ट्रिप वाले, देहरादून, शिमला, कुल्लू मनाली से स्वयं को श्रेष्ठ मानते थे. वे अगले बरस एनीवर्सरी पर दुबई, सिंगापुर, बैंकाक की प्लानिंग की बातें करते नही थकते थे. बड़े लोग यूरोप, आस्ट्रेलिया,पेरिस ट्रिप से शुरुवात ही करते थे. हनीमून पर बेटी दामाद को लासवेगास की ट्रिप के पैकेज गिफ्ट करना स्टेटस का द्योतक बन गया था.
पहले विदेश यात्रा और फिर उसके फोटो व्हाट्सअप के स्टेटस, इंस्टाग्राम पर चस्पा करना सोसायटी में डील करने के लिये जरूरी हो गया था. आयकर विभाग ने भी इस प्रवृति को संज्ञान में लेकर इनकम टैक्स रिटर्न में फारेन ट्रिप के डिटेल्स भरवाने शुरू कर दिये. इन सब भौतिकतावादी अमीरी के प्रदर्शक स्टेटस सिंबल्स के बीच बुद्धिजीवी परिवारों ने बच्चो की एजूकेशन को लेकर स्टेटस के सर्वथा पवित्र मापदण्ड स्वयं गढ़े. बच्चे किस स्कूल में पढ़ रहे हैं ? मुझे क्या देखते हो मेरे बच्चो को देखो, के आदर्श आधार पर बच्चों के रेसिडेंशियल काण्वेंट स्कूल से प्रारंभ हुई स्टेटस की यह दौड़ बच्चो को हायर एजूकेशन के लिये सीधे अमेरिका और लंदन ले गई. किसके बच्चे ने मास्टर्स विदेश से किया है,और अब कितने के पैकेज पर किस मल्टी नेशनल में काम कर रहा है, यह बात बड़े गर्व से माता पिता की चर्चा का हिस्सा बन गई. बच्चे विदेश गये तो घरो में काम करने वाले मेड् और ड्राईवर, शोफर और उन गरीब परिवारो को मदद की चर्चा भी स्टेटस सिंबल बना. मंहगे मोबाईल्स, उसके फीचर्स, मोबाईल कैमरे के पिक्सेल थोड़ा तकनीकी टाईप के नेचर वाली महिलाओ के स्टेटस वार्तालाप के हिस्से रहे.बड़ी ब्रांड के सेंट, साबुन, कास्मेटिक्स, सौंदर्य प्रसाधन, स्पा, मसाज की बातें भी खूब हुईं.
पर पिछले दो महीनो में स्टेटस सिंबल एकदम से बदले हैं. कोरोना ने दुनियां को घरो में बन्द कर दिया है. नौकरो की सवैतनिक छुट्टी कर दी गई है. बायें हाथ को दाहिने हाथ से कोरोना संक्रमण का डर सता रहा है. ऐसे माहौल में लोग व्यस्त भी हैं और फ्री भी. वर्क फ्राम होम चल रहा है. महीनो हो गये महिलायें सज धज ही नहीं रही. पति पूछ रहे हैं कि सजना है मुझे सजना के लिये वाले गाने में सजना मैं ही हूं न ? ब्रांडेड ड्रेसेज पहने महीनो बीत गये हैं.लूज घरू कपड़ों में दिन कट रहे हैं. इन दिनों घर के कामों में किसके पति कितना हाथ बटांते हैं, यह लेटेस्ट स्टेटस चर्चा में चल रहा है. घर के कामों में पति की भागीदारी से उसका प्यार नापा जा रहा है. किचन के किस आटोमेटिक उपकरण से क्या नई डिश बनी, उसमें पति की कितनी भागीदारी रही, और उसका स्वाद किस फाइवस्टार होटल की किस डिश के समान था यह आज का स्टेटस डिस्कशन पाईंट था. मुझे भरोसा है कि जल्दी ही इन तरह तरह की डिसेज से भी मन ऊब ही जायेगा, और यदि तब भी लाकडाउन और क्वेरंटाईन जारी रहा तो चर्चा के नये विषय होंगे ब्रांडेड झाडू और पोंछे.
© विवेक रंजन श्रीवास्तव, जबलपुर
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