श्री संजय भारद्वाज
(श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही गंभीर लेखन। शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है।साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं। हम आपको प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुँचा रहे हैं। सप्ताह के अन्य दिवसों पर आप उनके मनन चिंतन को संजय दृष्टि के अंतर्गत पढ़ सकते हैं। )
☆ संजय दृष्टि ☆ ऊँचाई ☆
बहुमंजिला इमारत की
सबसे ऊँची मंजिल पर
खड़ा रहता है एक घर,
गर्मियों में इस घर की छत
देर रात तक तपती है,
ठंड में सर्द पड़ी छत
दोपहर तक ठिठुरती है,
ज़िंदगी हर बात की कीमत
ज़रूरत से ज्यादा वसूलती है,
छत बनाने वालों को ऊँचाई
अनायास नहीं मिलती है..!
# दो गज की दूरी, है बहुत ही ज़रूरी।
© संजय भारद्वाज, पुणे
(रात्रि 3:29 बजे, 20 मई 2019)
ऊँचाई पाने और उस पर बने रहने वालों को बहुत कुछ दाँव पर लगाना पड़ता है। सटीक अभिव्यक्ति।