डॉ भावना शुक्ल
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 50 – साहित्य निकुंज ☆
☆ गीत – कुछ दीवाने कम भले हों ….. ☆
कुछ दीवाने कम भले हो,प्यार तो करते रहें।
जिंदगी में फासले हो,फिर भी हम चलते रहे।।
चित्र तेरा देखकर ही सोचता मैं रह गया।
आते रहते स्वप्न तेरे पीर सहता रह गया।
जाने कितने देखे हमने सपन तो पलते रहे।
कुछ दीवाने कम भले हो,प्यार तो करते रहें।
जो हुआ विश्वास मन का टूटता ही रह गया।
जो किया संकल्प हमने छूटता ही रह गया।
क्यों करे कोई शिकायत हाथ मलते ही रहे।
कुछ दीवाने कम भले हो,प्यार तो करते रहें।
हो अगर प्रतिकूल जीवन,तो है तुमसे वास्ता।
वरना इस जीवन में अपना अलग ही रास्ता।
हम समय के साथ संध्या की तरह ढलते रहे।
कुछ दीवाने कम भले हो,प्यार तो करते रहें।
कुछ दीवाने कम भले हो,प्यार तो करते रहें।
जिंदगी में फासले हो,फिर भी हम चलते रहे।।
© डॉ.भावना शुक्ल
सहसंपादक…प्राची
प्रतीक लॉरेल , C 904, नोएडा सेक्टर – 120, नोएडा (यू.पी )- 201307
मोब 9278720311 ईमेल : [email protected]
अति सुन्दर रचना