श्री दिव्यांशु शेखर
(युवा साहित्यकार श्री दिव्यांशु शेखर जी ने बिहार के सुपौल में अपनी प्रारम्भिक शिक्षा पूर्ण की। आप मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक हैं। जब आप ग्यारहवीं कक्षा में थे, तब से ही आपने साहित्य सृजन प्रारम्भ कर दिया था। आपका प्रथम काव्य संग्रह “जिंदगी – एक चलचित्र” मई 2017 में प्रकाशित हुआ एवं प्रथम अङ्ग्रेज़ी उपन्यास “Too Close – Too Far” दिसंबर 2018 में प्रकाशित हुआ। ये पुस्तकें सभी प्रमुख ई-कॉमर्स वेबसाइटों पर उपलब्ध हैं। आज प्रस्तुत है स्व सुशांत सिंह राजपूत जी की स्मृति में लिखी गई भावप्रवण कविता “ स्व सुशांत स्मृति सन्दर्भ – कुछ तो किया करो ”। युवा पीढ़ी के चर्चित चेहरे ने कल अंतिम सांस ली । कारण कुछ भी रहा हो किन्तु , अंतिम निर्णय कदापि सकारात्मक नहीं था। जब जीवन में इतना संघर्ष किया तो जीवन से संघर्ष में क्यों हार गए ? विनम्र श्रद्धांजलि !)
☆ स्व सुशांत स्मृति सन्दर्भ – कुछ तो किया करो से ☆
कुछ सुन लिया करो, कुछ बोल लिया करो,
कभी दिल के बंद फाटक को खोल लिया करो,
लोग क्या सोचेंगें इस बेकार सी सोच में,
अपनी अनमोल ज़िन्दगी को यूँ ही ना तोल लिया करो।
अलग दिखने और दिखाने कि चाहत में,
ज़िन्दगी में बेवज़ह ज़हर ना घोल लिया करो,
तुम्हारे ना होने से कुछ रुकेगा नहीं, लेकिन तुम्हारी जगह कोई ले भी नहीं सकता,
बहुत ख़ास है तुम्हारी ज़िन्दगी कुछ ख़ास लोगों के लिये, अतः खुद से दुश्मनी ना मोल लिया करो।
तुम जो ये पढ़ रहे हो ना, हाँ! तुम ही, ख्याल रखना और विश्वासपात्र बनना,
अपना अगर कोई दुःख में हो, तो ना आमंत्रण का इंतज़ार और ना ही मखौल किया करो,
जब सुनाने आये कोई राज़ दिल का, तो दिल से सुनना और प्रयास करना,
कुछ दर्द है उसके मुस्कान में, कभी उसके ना बोलने पर भी उसे टटोल लिया करो।
© दिव्यांशु शेखर
कोलकाता
अच्छी रचना
बहुत सुंदर ??