सुश्री भारती शर्मा
(सुप्रसिद्ध साहित्यकार सुश्री भारती शर्मा जी का ई- अभिव्यक्ति में हार्दिक स्वागत है। आप हिंदी साहित्य की गीत, ग़ज़ल, लघुकथाएँ विधा की सशक्त हस्ताक्षर हैं। संक्षिप्त साहित्यिक यात्रा – प्रबंध सम्पादक : ‘अभिनव प्रयास’ (त्रैमासिक साहित्यिक पत्रिका)। विभिन्न प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में गीत, ग़ज़ल, लघुकथाएँ प्रकाशित। दैनिक जागरण द्वारा लघुकथा प्रतियोगिता के अंतर्गत (613 प्रतिभागियों में से) लघुकथा संग्रह के प्रकाशनार्थ अलीगढ़ से चयनित ।आगरा आकाशवाणी से समय समय पर गीत, ग़ज़ल का नियमित प्रसारण। आज प्रस्तुत है आपकी रचना “बज़्म में ज़िक्र….। “
☆ बज़्म में ज़िक्र…. ☆
सुर्ख़ आँखों में जब नमी देखी
बुझती-बुझती-सी रोशनी देखी
अश्क ढलके जो दो किनारों से
मैंने ख़्वाबों की खुदकुशी देखी
बज़्म में ज़िक्र आपका आया
फिर से ज़ख़्मों पे ताज़गी देखी
जाने क्यू उसने फेर ली नज़रें
कशमकश उसकी बेबसी देखी
बिन तेरे और क्या बताऊँ मैं
आग बरसाती चाँदनी देखी
देके आवाज़ छुप गये हो कहाँ
ये शरारत नयी-नयी देखी
सारी दुनिया में तू मिला मुझको
मैंने ख़ुद में तेरी कमी देखी
© भारती शर्मा
आगरा उत्तर प्रदेश
सुंदर रचना