श्रीमद् भगवत गीता

हिंदी पद्यानुवाद – प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

चतुर्दश अध्याय

गुणत्रय विभाग योग

(ज्ञान की महिमा और प्रकृति-पुरुष से जगत् की उत्पत्ति)

श्री भगवानुवाच

परं भूयः प्रवक्ष्यामि ज्ञानानं मानमुत्तमम् ।

यज्ज्ञात्वा मुनयः सर्वे परां सिद्धिमितो गताः ।।1।।

 

श्री भगवान ने कहा-

तुम्हें बताता हॅू पुनः, ज्ञानों का भी ज्ञान

जिसे जानकर सिद्ध मुनि पा जाते निर्वाण।।1।।

 

भावार्थ :  श्री भगवान बोले- ज्ञानों में भी अतिउत्तम उस परम ज्ञान को मैं फिर कहूँगा, जिसको जानकर सब मुनिजन इस संसार से मुक्त होकर परम सिद्धि को प्राप्त हो गए हैं।।1।।

 

I will again declare (to thee) that supreme knowledge, the best of all knowledge, having known which all the sages have gone to the supreme perfection after this life.।।1।।

 

प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

ए १ ,विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर

[email protected]

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