श्री अशोक कुमार धमेंनियाँ ‘अशोक’
( ई- अभिव्यक्ति में श्री अशोक कुमार धमेंनियाँ ‘अशोक’जी का हार्दिक स्वागत है।साहित्य की सभी विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर। प्रकाशन – 4 पुस्तकें प्रकाशित 2 पुस्तकें प्रकाशनाधीन 3 सांझा प्रकाशन। विभिन्न मासिक साहित्यिक पत्रिकाओं में लघु कथाएं, कविता, कहानी, व्यंग्य, यात्रा वृतांत आदि प्रकाशित होते रहते हैं । कवि सम्मेलनों, चैनलों, नियमित गोष्ठियों में कविता आदि का पाठन तथा काव्य कृतियों पर समीक्षा लेखन। कई सामाजिक कार्यक्रमों में सहभागिता। भोपाल की प्राचीनतम साहित्यिक संस्था ‘कला मंदिर’ के उपाध्यक्ष। प्रादेशिक / राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कारों / अलंकरणों से पुरस्कृत /अलंकृत। आज प्रस्तुत है आपकी एक समसामयिक विषय पर आधारित लघुकथा ‘इंतजार ‘। वर्णित घटना एवं पात्र काल्पनिक हैं किन्तु ,भावनाएं वास्तविक। कृपया आत्मसात करें और भारतीय सेना का मनोबल बढ़ाएं। )
☆ लघुकथा – इंतजार ☆
बलवान घाटी में युद्ध छिड़ गया। चीन और भारत की सेनाएं आमने-सामने आ गई ।
“आज एक भी चीनी मुझसे बचकर न जा सकेगा। माँ कसम , यदि मेरी माँ ने मुझे दूध पिलाया है तो आज ये चीनी देखेंगे कि भारत माँ की छाती पर पैर रखने का क्या अंजाम होता है ।” –पहाडसिंह ने रायफल के साथ घसिटते और आगे बढ़ते हुए अपने साथी दलेल सिंह से कहा ।
“अरे यार , कल ही तुम कह रहे थे कि तेरी शादी पक्की हो गई है । अवकाश लेकर शादी करने के लिए घर जाना है । तू पीछे हट , इन चीनी चमगादड़ों को मैं देखता हूं। तेरा घर में सब इंतजार कर रहे होंगे। इसलिए भारत मां की कसम आज मैं वो जौहर दिखाना चाहता हूं कि चीनी कभी भी इस मोर्चे पर आने से घबरायेंगे । यदि आज मैं अपने रक्त से भारत मां का टीका कर सका तो अपना जीवन और देह धन्य समझूंगा ।– दलेल सिंह ने कहा।
“ऐसा नहीं हो सकता । मेरी शादी होगी तो बारात में तुझे भी चलना होगा। यदि यहां भारत मां की सेवा करते मृत्यु का वरण करना पड़ा तो मैं भी साथ रहूंगा । लेकिन- यह दोस्ती हम नहीं छोड़ेंगे ……..।”
फायर होने में कुछ तेजी आ गयी।
” धायँ…. धायँ…..। दलेल , वह गए दो”
और यह ले , दलेल ने गोलियों की बौछार कर दी।
” पहाड़ , सभी मारे गए साले । एक भी चीनी नहीं दिख रहा है”।
इसी बीच पीछे से एक गोली पहाड़ सिंह की पीठ पर लगी ।
“अरे दलेल , चीनियों ने पीठ पर गोली मार दी । यह साले पीछे से आ गए हैं ।”
पहाड़सिंह गोली खाकर मूर्छित अवस्था में लुड़ककर पहाड़ के किनारे सैकड़ों फिट गहरी नदी में गिरने लगा । तभी दलेल ने एक हाथ से पहाड़ सिंह का हाथ पकड़ लिया और दूसरे हाथ से पीछे से गोली चला रहे चीनियों को भूँजना शुरू कर दिया।
” पहाड़ , यह देख ……एक ……दो ….. और ….पांच। पूरे पाँच मारे गये।”
“अरे मार दिया सालों ने । पहाड़ , मैं भी तुम्हारे साथ आ रहा हूं । हम दोनों मृत्यु का वरण एक साथ करेंगे। अफसोस मैं वादा पूरा न कर सका । तेरी मां और वह लड़की जिससे तेरी शादी होने वाली थी , उनके इंतजार का क्या होगा?
© अशोक कुमार धमेंनियाँ ‘अशोक’
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