डॉ मिली भाटिया 

डॉक्टर मिली के प्रेरणास्रोत उनके पापा श्री दिलीप भाटिया  हैं ! डॉक्टर मिली कहती हैं  उनकी मम्मी  श्यामा भाटिया ईश्वर के घर से उनको आशीर्वाद देकर उनकी उपलब्धि से ख़ुश होंगी।  डॉक्टर मिली की स्ट्रेंक्थ उनके जीवनसाथी श्री आनंद यादव हैं।  डॉक्टर मिली की ख़ुशी है उनकी बेटी लिली यादव ।

डा मिली कहती हें बच्चों को चित्रकला सिखाना उनका मुख्य उद्देश्य है ।  आँखो में आजीवन रहने वाली बीमारी केरटोकोनस के बावजूद बच्चों में चित्रकला से प्रेम करने का एकमात्र उद्देश्य हे डॉक्टर मिली भाटिया आर्टिस्ट का। 

डॉक्टर मिली को 22 डिसेम्बर 2011 को रावतभाटा कला गौरव से और 26 जनवरी 2012 को राजस्थान सरकार और 7 जुलाई 2015 को PhD की डिग्री से सम्मानित किया गया। पितृ दिवस के उपलक्ष में हम डॉ मिली भाटिया जी के बेटी के पत्र पिता के नाम आपसे साझा कर रहे हैं।

☆ पितृ दिवस विशेष – बेटी के पत्र पिता के नाम – भावनात्मक आत्मीय पत्र ☆

☆ एक पिता को एक बेटी का पत्र ☆

आपके ही नाम से जानी जाती हूँ “पापा”

इस से बड़ी शोहरत “मिली” के लिए क्या होगी। आप पिता हैं, पर एक माँ से कम नहीं – “हैपी फ़ादर डे वर्ल्ड के बेस्ट पापा” दुनिया के सबसे अच्छे पापा,

“दादी की प्राणदुलारी हो, मम्मी की राजदुलारी हो,

इकलोती  तुम मेरी बिटिया, तुम सबसे मुझको प्यारी हो“

आज भी जब आपकी लिखी हुई कविताएँ मेरे बचपन की पड़ती हूँ तो आँख भर जाती हैं! मेरे “पापा” इस शब्द में पूरी दुनिया बसती है मेरी! बचपन से ही हमेशा आप मेरे बेस्ट फ़्रेंड, राखी के दिन भाई, स्कूल होमवर्क कराते टाइम टीचर, शाम को ईवनिंग वॉक पर जाते गप्पें मारते वक्त मेरे बेस्ट फ़्रेंड, और जब मम्मी अपनी इकलौती संतान को बी॰ ए॰ फ़र्स्ट ईयर में छोड़ कर ईश्वर के घर गई तब से आप मम्मी का रोल निभाते आ रहे हें पापा! तब 17 साल की टीनऐज़र बेटी को कैसे अकेले सम्भाला होगा आपने! 17 साल हो गये पापा! आपने मुझ पर विश्वास बनाए रखा! गर्व होता है जब दुनिया बोलती है  “मिली” तेरे पापा कितने अच्छे हें! आँखें ख़ुशी से चमक उठतीं हें मेरी! मेरे लिए कितना त्याग किया आपने, दुनिया से लड़े, रिश्तेदारों से लड़े, जब मम्मी हमें छोड़ कर गईं, लोगों ने कहा “मिली” का क्या होगा, नानी ने कहा मिली अनाथ हो गई, तब आप हमेशा से चुप रहने वाले इंसान लड़ लिए अपनी बेटी के लिए की अभी तो मैं  बेठा हूँ, मिली को कोई कुछ नहीं कहेगा! लोग आपको बोलते रहे, दूसरी शादी कर लो, बेटा गोद ले लो, मिली को किसी मासी के घर छोड़ दो, वगैरह वगैरह  पर आपने अपनी बेटी को सम्भाला! आपकी बच्चों के लिए लिखी किताबों से देश भर के लाखों बच्चों के लिए प्रेरणास्त्रोत हें! डॉक्टर ए पी जे अब्दुल कलाम जी से आप आत्माराम पुरस्कार से सम्मानित हें! परमाणु बिजलीघर में वैज्ञानिक अधिकारी के पद से आप रिटायरमेंट के 12 साल बाद भी बच्चों के लिए सक्रिय हैं।  कई गरीब बेटे-बेटियों की शिक्षा की ज़िम्मेदारी आप निभा रहे हें पापा! आपके जैसा कोई नहीं है पापा! आप इस दुनिया के सबसे अच्छे पापा हैं! आपके होने से में अपने आप को पूरी तरह सुरक्षित महसूस करती हूँ हमेशा!

बेटी डॉक्टर मिली!

 

☆ पापा चुप रहते हैं ☆

हैपी फ़ादर डे पापा,

आज मुझे मम्मी बने हुए 6 साल 5 महीने पूरे हो गये हैं! ईश्वर से दिन रात एक ही दुआ माँगी थी की मुझे बेटी हो! आपने तो आने से 2 महीने पहले नाम भी रख दिया था ‘लिली”! आप तो यह भी सोचने लग गए थे की बेटा हो गया तो पता नहीं मैं क्या करूँगी? 15 जनवरी 2014 को नर्स ने आपको आ कर कहा की लक्ष्मी आयी है तब मुझसे ज़्यादा ख़ुशी आपको हुई पापा!

बचपन से ही आपसे, मम्मी और दादी से इतना प्यार पाया की कभी कोई कमी महसूस ही नहीं हुई! चार लोगों के इस छोटे से परिवार में प्रेम कूट कूट कर भरा हुआ था!  दादी ने कभी यह नहीं कहा की पोती की बजाय पोता होता!आप और मम्मी तो मुझे पाकर निहाल ही हो गये थे! संस्कार और स्नेह से भरपूर इस घर में हमेशा मुझे सुकून रहा! मैं पूरी तरह से तृप्त रही! इसलिए भगवान से भी खुद के लिए बेटी माँगी!

बचपन से ही आपने पापा के साथ साथ भाई, दोस्त, टीचर सबका रोल निभाया! शाम को आपके आफिस से आने के बाद मैं खिल उठती थी! आपसे पढ़ती, खेलती, आपके साथ घूमने जाती, बातें करती और रक्षाबंधन पर राखी बांधती! आपसे हमेशा अनोखा रिश्ता रहा मेरा! बचपन से ही आपसे गहराई से जुड़ी हुई थी! आपने मुझे बचपन से किताबों से प्रेम करना सिखाया! बचपन में चंपक, बलहँस पढ़ते पढ़ते आज आपकी हर किताब, मैगज़ीन में लेख, कहानियाँ, उपन्यास पढ़ती आ रही हूँ! अब जब आपकी 6 साल की नातिन लिली आपके साथ बैठ कर किताबें पड़ती है, बातें करती है तो मुझे अपना बचपन याद आ जाता हे कि कैसे आपके ऑफ़िस से आने के बाद मैं आपके पीछे पीछे घूमती थी!

बचपन से ही देखा “पापा चुप रहते हैं”! मैंने कभी आपको ऊँची आवाज़ में बोलते नहीं देखा! आपको हमेशा शांत और संतुलित देखा! तेज माइग्रेन(सिरदर्द) में भी आप किसी से कुछ नहीं कहते, खुद ही उठ कर पानी पी लेते! आपको मैंने कभी कुछ इच्छा व्यक्त करते हुए भी नहीं देखा! आपसे दादी और मम्मी कुछ भी पूछते तो आप बस मुस्कुरा देते! इतना सरल कोई कैसे हो सकता है पापा अब सोचती हूँ! कितना कुछ होगा दिल में आपके, उसका थोड़ा सा हिस्सा आपकी लेखनी में पड़ा! दिल को छू लेने वाली कहानियाँ, कविताएँ, लघुकथाएं  आपके मन की गहराई को कुछ हद तक बयान करने लगी! आपकी पहली किताब “कड़वे सच” से मुझे कुछ पता चला की आपने कितना कुछ सहा है! और आपकी दूसरी किताब “छलकता गिलास” से पता चला की आप जो लोगों के जीवन में प्रेम बिखेर रहे हैं उससे उनकी आँखें छलक उठती हैं तो आपके दिल को कितना सुकून मिलता होगा!

मैं 17 साल पहले आपकी 17 साल की बेटी बी॰ ए॰ फ़र्स्ट एयर में “चित्रकला” विषय लेने के लिए मैं आपको और मम्मी को “रावतभाटा” छोड़कर “ उदयपुर” गई! हॉस्टल में 3 महीने ही बीते थे कि आपका फ़ोन आ गया की मम्मी से मिलने आ जाओ! दिल बहुत डर गया था मेरा! मम्मी को ब्रेन हैमरेज हुआ था! कोटा में एडमिट थीं! डॉक्टर आपको जवाब दे चुके थे! पर फिर भी आप स्ट्रोंग बने रहे! मुझे कुछ नहीं बताया! बस यही सोचते रहे कि 17 साल की इकलौती  बेटी को अकेले  कैसे सम्भालेंगे?  अपने दुःख को भूलकर मुझे सम्भालने के बारे में ही सोचते हुए मम्मी की सेवा में लगे रहे! पर ईश्वर को कुछ और ही मंज़ूर था! उन्होंने 7 दिन के अंदर ही 14 नोवेम्बर 2003 को मम्मी को अपने पास बुला लिया! आपने मुझे किस तरह सम्भाला इसको शब्दों में लिखना बहुत कठिन है! आपके त्याग के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं! आपने वापिस मुझे किसी तरह सम्भाला, हॉस्टल भेजा वापिस व मेरी पी॰एच॰डी॰ तक की शिक्षा पूरी करवाई! खुद अकेले, कभी बाई के हाथों का खाना खा कर, कभी टिफ़िन का तो कभी नमकीन-बिस्कुट खा कर ही काम चला लेते! दादी की ज़िम्मेदारी भी उठाते! आपको अपनो ने भी सहयोग नहीं दिया! तब मुझे यह एहसास हुआ, कि जैसे मैं इकलौती हूँ,आप भी 5 भाई-बहन होते हुए भी इकलौते ही तो हों पापा! हॉस्टल में मम्मी को याद करके जब मैं  टूटने लगती तब आपके पोस्टकार्ड मुझे हिम्मत देते! पूरे हॉस्टल में मैं फ़ेमस हो गई थी कि मिली की तो रोज़ चिट्ठी आती है! एक बार बहुत  परेशान थी तब आपने मुझे एक पत्र लिखा “आधा ख़ाली नहीं,आधा भरा कहो” जो” “अहा ज़िंदगी “ में  2005 में छपा! बी॰ए॰ पूरा होने के बाद में हॉस्टल से घर वापिस आ गई! आपकी प्रेरणा से मैंने छुट्टियों मैं समर कैम्प में छोटे बचों को सिखाना शुरू किया! बच्चों से मुझे खूब प्यार मिलता, तब मैं मम्मी को खोने का ग़म उन पलो में भूल जाती! मुझे ख़ुश देखकर आपको अच्छा लगता! मेरी इच्छा ड्रॉइंग में एम॰ ए॰ करने की थी, पर जब मैं कहने लगी पापा मुझे बाहर जाना पड़ेगा मैं इंग्लिश लिटरेचर में प्राइवेट कर लेती हूँ! पर आप नहीं माने! आपने मुझे जयपुर चित्रकला से एम॰ ए॰ करने भेजा! आपने कहा की अभी की पढ़ाई ज़िंदगी भर काम आएगी! प्राइवेट पढ़ाईं तो बाद में भी कर लेना! सिर्फ़ रोटी बनाने के लिए मैं तुम्हारे सपने टूटने नहीं दूँगा! आप ग्रेट हो पापा! पढ़ाई को लेकर आपने कभी कॉम्प्रॉमायज़ नहीं किया! आप हमेशा से ही बच्चों के लिए प्रेरणास्त्रोत रहें! परमाणु बिजलीघर में वैज्ञानिक अधिकारी होने के साथ साथ आपकी लेखनी भी निखरती गई और 2006 सेप्टेम्बर में आपको राष्ट्र-पति डॉक्टर ए पी जे अब्दुल कलाम जी से केंद्रीय हिन्दी संस्थान दिल्ली की तरफ़ से आत्माराम पुरस्कार मिला!

परमाणु बिजलीघर प्लांट की तरफ़ से आप जब गाँवों में बिजलीघर की जानकारी देने जाते तब आपने देखा की गाँव की बेटियाँ कितनी असक्षम हें! आपने शुरू से ही अपने परिवार वालों, दोस्तों, रिश्तेदारों के लिए तन, मन, धन और खून दें कर खूब सेवा और मदद की पर आपको सार्थकता इन बेटियों के लिए करडीगन, कॉपी, पेन, सरकारी स्कूल में पंखे आदि दे कर ही मिली होगी! आश्चर्य होता है कि आप 58 बार ब्लड डोनेट कर चुके हें! आप तो अभी भी तैयार हें पर आपको सेवानिवृत्त हुए 12 साल हो चुके हें! नेत्रदान, देहदान का फैसला भी आप ले चुके हें!

21 जून 2010 को आपने मुझे अपनी पसंद का जीवनसाथी चुनने दिया और मेरी शादी करवाई! मेरी इस इच्छा का भी मुश्किल से मान रखा कि मेरी शादी के बाद आप अकेले  नहीं रहेंगे, साथ में रहेंगे! आप मेरे जीवनसाथी “आनंद” को मना नहीं कर पाए जब आपका टिकट बुक करवा दिया और आपको अपने साथ लेने के लिए आ गये!

आज भी आप पहले से ज़्यादा सक्रिय हें पापा! हर साल गाँव की बेटियों के लिए अपनी पेन्शन में से 5 प्रतिशत उनकी उच्च शिक्षा के लिए सहायता करते हें! पूरे रावतभाटा के साथ साथ देश में भी बच्चे आपको “दिलीप अंकल” के नाम से जानते हें! आपको देखकर मैंने और आनंद ने भी हर साल गाँव के स्कूल में बच्चों के लिए थोड़ा सा करना शुरू किया है! बहुत सुकून मिलता है इससे पापा!

आपकी प्रेरणा और सहयोग से मैंने 8 मार्च 2011 महिला दिवस पर जयपुर के जवाहर कला केंद्र में “नारी अंतर्मन“ नाम से चित्रकला प्रदर्शनी लगाई उसका प्रोग्राम ई टी वी राजस्थान पर प्रसारित हुआ तो आपको बोहोत ख़ुशी मिली! 19 ऑक्टोबर 2013 को जब मेरी राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर में पी॰ एच॰ डी॰ की थीसस जमा हुई तब आपकी आँखे ख़ुशी से भीग गई! आपकी दस साल की तपस्या पूरी हुई उस दिन पापा!

आज आप साहित्य और शिक्षा से गहराई से जुड़े हुए हैं! हर साल उपकार प्रकाशन से आपकी बच्चों के लिए किताब छपती है और देश भर से लाखों बच्चों के फ़ोन आते हैं! तो आपको जीवन में सफल और संतुष्ट पाती हूँ! आपको किसी चीज़ से मोह माया नही हैं! आपका दिल बहुत विशाल और नेक है! इतने ऊँचे पद से रिटायर होने के बाद भी आपका जीवन कितना सादा है पापा! आप इतने सरल हें!

आपने मुझे बचपन से कभी नहीं डाँटा पापा! मेरी हर गलती माफ़ की! मुझे हमेशा प्यार से समझाया! कितनी सहनशक्ति हे आपमें! पर कभी कभी मैं आपको डाँट भी देती हूँ जब लोग आपके सीधेपन का फ़ायदा उठाते हैं! पर फिर भी आप मेरी बात का बुरा नहीं मानते हो और बस मुसकुरा देते हो पापा! ईश्वर को धन्यवाद देती हूँ कि आप आज हमारे साथ हें! आपकी छाँव में मैं अपने आप को सुरक्षित महसूस करती हूँ!’ मेरे साथ साथ आनंद भी आपके कृतज्ञ हैं! आपके संरक्षण में हम तीनों  बहुत सुरक्षित महसूस करते हें पापा! शादी के 10 साल बाद भी हमारा संघर्ष ख़त्म नहीं हुआ है पापा! आनंद ने किसी कारणवश सरकारी नौकरी छोड़ी, मेरी आँखों में भी आजीवन रहने वाली केरटोकोनस डिज़ीज़ से आप अंदर से बहुत दुखी हैं, पर पूरा सहयोग आप ही कर रहे हैं बस पूरी दुनिया में एक! एक आप ही हैं जो इस मुश्किल में हमारे साथ हैं! आप कितना विश्वास करते हें मुझपर! सारी ज़िम्मेदारी आप मुझे मेरी शादी होते ही सौप  चुके हें!

आपकी नातिन लिली भी आपको दिलीप अंकल बोलती है! वो बस अपने नानू जैसी बने यही मेरी इच्छा है पापा! आपके शहद चटाने का थोड़ा भी असर हो जाए तो भी आपकी तरह सफल जीवन जिएगी वो! आपका साथ और आशीर्वाद सदैव मिलता रहे पापा! 6 साल की लिली जब कहती हे की घर में सबसे अच्छे नानाजी हें क्योंकि वो बच्चों को टाइम देते हैं और अपना सारा काम टाइम से कर लेते हैं! आपने संस्कार लिली में अभी से ही देखकर मुझे बहुत  अच्छा लगता हे पापा!

आपको धन्यवाद देने के लिए अब मेरे पास शब्द नहीं हैं पापा! बहुत सारा प्यार! अपने पापा के साथ साथ मम्मी का भी रोल निभाया पापा 17 साल से ! साथ रहकर भी कुछ बातें बोली नहीं जाती इसलिए इस पत्र के माध्यम से दिल की कुछ बातें लिखी हैं आपको! हैपी फादर डे वर्ल्ड के बेस्ट पापा द ग्रेट!

आपकी बेटी

डॉक्टर मिली!

Dr Mili Bhatia Artist

Rawatbhata Rajasthan

Mobile no 9414940513

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Shyam Khaparde

बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति

subedar pandey kavi atmanand

हृदय स्पर्शी भावाभिव्यक्ति, धाराप्रवाह शब्द संयोजन उत्कृष्ट लेखन कला आभार अभिनंदन अभिवादन आदरणीया ——सूबेदार पाण्डेय कवि आत्मानंद जमसार सिंधोरा बाजार वाराणसी पिन कोड २२१२०८
मोबाइल ६३८७४०७२६६