श्री विजय नेमा ‘अनुज’
(आदरणीय श्री विजय नेमा ‘अनुज’ जी का ई- अभिव्यक्ति में स्वागत है। श्री विजय नेमा जी संस्कारधानी जबलपुर की प्रतिष्ठित साहित्यिक एवं सामाजिक संस्था ‘वर्तिका’ के संयोजक हैं। आज प्रस्तुत है हिंदी दिवस के अवसर पर आपका आलेख हिन्दी का वर्तमान।
☆ राजभाषा विशेष – हिन्दी का वर्तमान ☆
हिन्दी हमारे देश के व्यापक समाज की मातृभाषा है, देश की राजभाषा है और हमारी संस्कृति के गौरव की भाषा है। हिंदी अब पूरी दुनिया में प्रचलित होकर विश्वभाषा बनने की ओर उन्मुख है। अनेक देश के लोग हिन्दी लिखते और बोलते हैं।
हमारे देश मैं सर्वाधिक बोली जाने वाली हिंदी ही है, यही नहीं हमारे देश की जनसंख्या के साथ से भी हिन्दी सर्वोपरि एवं शीर्ष पर है, और सदा आगे भी रहेगी।
आजतक हिंदी के नाम पर जो सियासत होती रही हैं, वो अब नहीं होनी चाहिए और उसके विकास पर बहुत तेजी से कार्य होने चाहिए।
हिंदी इस देश की माटी से अंकुरित हुई भाषा है, इसमें हमारे देश के कोटि कोटि के साहित्यकारों, विद्वानों, लेखकों,चिंतकों, कहानीकार, कथाकार, व्यंगकारों, गज़लकारों, दोहाकारों आदि आदि ने रातदिन मेहनत कर,अपनी लेखनी, अपनी वाणी से इस धरा को समवेत आवाज, एवं अपनी अपनी, सहभागिता से अभिसिंचित किया है,समर्पित किया है, जो आज हम सब पढ़ लिखकर, बोलकर उन सबका मार्गदर्शन, अनुशरण लेकर आगे बढ़े हैं, और सदा बढ़ते रहेंगे। जैसे:-
” पतवार तुम्हें दे जाऊँगा ” को चरितार्थ करते हुए, जो हमने विद्वान साहित्यकारों से सीखा वही आने वाली पीढ़ी को देकर जाने का है।
हिंदी की अपनी एक प्यारी ,लेखनी, बोली मृदुभाषी, सरल और मीठी भाषा है जो हमारे विद्वान साहित्यकारों, लेखकों,चिंतकों को आज इस पवित्र दिन पर याद कर शत शत नमन करते हैं, जो अपनी विधा से हम सभी को परिचित कराते हैं।
तुलसीदास, कबीरदास, रहीम,अमीर खुसरो, जनकवि जगनिक, चन्द्रवरदाई, रैदास, मीराबाई,सूर जायसी,रसखान, विहारी, गालिब, मीर,गोरखनाथ।
फिर आगे:-
मुंशी प्रेमचंद, भारतेन्दु हरिश्चंद्र,, जयशंकर प्रसाद, रामधारी सिंह दिनकर, महावीर प्रसाद, हजारीप्रसाद द्विवेदी, रामचन्द्र शुक्ल, धर्मभारतीय, मैथलीशरण गुप्त, सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला,राहुल सांकृत्यायन,महादेवी वर्मा, सुभद्राकुमारी चौहान, हरिऔध, माखनलाल चतुर्वेदी, नागार्जुन, दुष्यंत कुमार, अज्ञेय,अदम गोंडवी
मुक्तिबोध, फणीश्वरनाथ रेणु, सुमित्रा नन्दन पन्त, हरिवंशराय बच्चन, हरिशंकर परसाई, शमशेर, त्रिलोचन, केदारनाथ, भवानी प्रसाद मिश्र, रामविलास शर्मा, नामवरसिंह, रघुवीर सहाय, धूमिल, कमलेश्वर,मोहन राकेश, निर्मल वर्मा, शरद जोशी, रवीन्द्र कालिया, कृष्ण सोवन्ति, श्री लाल शुक्ल, जिनेन्द्र कुमार, देवकीनंदन खत्री, गोपालदास नीरज, भवानी प्रसाद तिवारी,रामेश्वर गुरु,श्रीबालपांडेय, हरिकृष्ण त्रिपाठी, जवाहरलाल चौरसिया, गारगीशरण मिश्र मराल, प्रो.राजेन्द्र तिवारी ऋषि आदि।
और आज की दौर में जिन साहित्यकारों का मार्गदर्शन हो रहा है वो
आचार्य डॉ. कृष्णकांत चतुर्वेदी, डॉ. राजकुमार सुमित्र, आचार्य भगवत दुबे, डॉ. ज्ञानरंजन, डॉ. मलय, हरेराम समीप, आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ आदि आदि, जो वर्तमान में हिन्दी पर बहुत अधिक कार्य कर रहे हैं।
आज के दिन हम सब को संकल्प लेना चाहिए कि हम हिंदी लिखेंगे, हिंदी ही बोलेंगे।
हिंदी दिवस पर ढेर सारी शुभकामनाएं बधाई।
© विजय नेमा अनुज
24बी,” शंकर ” कुटी विवेकानंद वार्ड, जानकीनगर, जबलपुर ( म.प्र.), मोबाइल 9826506025