श्रीमति हेमलता मिश्र “मानवी “
(सुप्रसिद्ध, ओजस्वी,वरिष्ठ साहित्यकार श्रीमती हेमलता मिश्रा “मानवी” जी विगत ३७ वर्षों से साहित्य सेवायेँ प्रदान कर रहीं हैं एवं मंच संचालन, काव्य/नाट्य लेखन तथा आकाशवाणी एवं दूरदर्शन में सक्रिय हैं। आपकी रचनाएँ राष्ट्रीय स्तर पर पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित, कविता कहानी संग्रह निबंध संग्रह नाटक संग्रह प्रकाशित, तीन पुस्तकों का हिंदी में अनुवाद, दो पुस्तकों और एक ग्रंथ का संशोधन कार्य चल रहा है। आज प्रस्तुत है श्रीमती हेमलता मिश्रा जी की राष्ट्रकवि दिनकर जी की स्मृति में विशेष रचना – साहित्य के सूर्य दिनकर । )
☆ राष्ट्रकवि दिनकर स्मृति विशेष – साहित्य के सूर्य दिनकर ☆
दिनकरजी की प्रसिद्ध पंक्तियां
क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल हो
उसको क्या जो दंत हीन विषरहित विनीत सरल हो।।
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जी को समर्पित मेरी चंद पंक्तियाँ
साहित्य के सूरज थे दिनकर नामधारी
रामधारी सिंह सिंह को भी मात करे थे
जंग छेडी़ कविता से जागरूकता फैलाई
देशभक्ति की मिसाल बने रचनाओं से थे
रेणुका की हुंकार से क्रांति का बिगुल फूँका
राष्ट्र कवि का वीरासन साहित्य-उद्गारक थे
पुत्र थे माँ धरती के कृषक के घर जन्मे
पढे लिखे कई पद औ पद्मविभूषण पाए थे
पुरस्कार ज्ञानपीठ पाया उर्वशी के लिए
साहित्य चूड़ामणि से वे सम्मानित हुए थे
रश्मि रथी के ये रथी कुरुक्षेत्र में न लडे़
कविता गंगा से वीर रस प्रवाह किये थे
वीर को ही शोभती है दया क्षमा गुण कहा
भुजंग भी वीर यदि परितोष क्षमा के थे
© हेमलता मिश्र “मानवी ”
नागपुर, महाराष्ट्र 440010
(मनहरण घनाक्षरी)