श्री अमरेन्द्र नारायण
हम ई-अभिव्यक्ति पर एक अभियान की तरह प्रतिदिन “संदर्भ: एकता शक्ति” के अंतर्गत एक रचना पाठकों के लिए लाने जा रहे हैं। लेखकों से हमारा आग्रह है कि इस विषय पर अपनी सकारात्मक एवं सार्थक रचनाएँ प्रेषित करें। हम सहयोगी “साहित्यम समूह” में “एकता शक्ति आयोजन” में प्राप्त चुनिंदा रचनाओं से इस का प्रारम्भ कर रहे हैं। आज प्रस्तुत है श्री अमरेंद्र नारायण जी की कविता “ भारतवासी ”।
☆ सन्दर्भ: एकता शक्ति ☆ भारतवासी ☆
एकता शक्ति बस शब्द नहीं
हों परिचय भारतवासी के
प्रगति, विकास सम्मान सूत्र
हों स्वाभिमान अभिलाषी के!
हों भिन्न धर्म, हो भिन्न जाति
हों भिन्न प्रांत, बोली, भाषा
है देश हमारा सर्वोपरि
हर भारतीय की अभिलाषा
जो भेद भाव उकसाते हैं
उसमें उनका है स्वार्थ भरा
उन आंच तापने वालों से
भला कैसे होगा अपना भला?
एकता और शक्ति में ही
अपने विकास की कुंजी है
सम्मान मार्ग की दीपशिखा
और स्वाभिमान की पूंजी है!
यह देश हमारा है अनुपम
सुख शांति के हम अभिलाषी
एकता शक्ति है प्रेम सूत्र
परिचय अपना भारतवासी!
© श्री अमरेन्द्र नारायण
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