सुश्री स्वाति धर्माधिकारी

हम ई-अभिव्यक्ति पर एक अभियान की तरह प्रतिदिन “संदर्भ: एकता शक्ति” के अंतर्गत एक रचना पाठकों से साझा कर रहे हैं। हमारा आग्रह  है कि इस विषय पर अपनी सकारात्मक एवं सार्थक रचनाएँ प्रेषित करें। हमने सहयोगी  “साहित्यम समूह” में “एकता शक्ति आयोजन” में प्राप्त चुनिंदा रचनाओं से इस अभियान को प्रारम्भ कर दिया  हैं।  आज प्रस्तुत है सुश्री स्वाति धर्माधिकारी जी की एक प्रस्तुति  “अनेकता में एकता”

☆  सन्दर्भ: एकता शक्ति ☆ अनेकता में एकता ☆

इस देश के शांन की,

है यही विशेषता;

हम हैं इस देश के,

शक्ति हमारी एकता।।

 

राह में चुनौतियां आईं हैं,

जब भी कभी;

राष्ट्र था सर्वोपरी,

सर्वोपरी थी एकता;

राष्ट्र और ऊंचा उठे,

ऊंची उठे गणतंत्रता;

न गुलामी हम सहेंगे,

और न परतंत्रता।।

 

गर नज़र उठा के,

देखा किसी ने अब कभी;

दुनिया से मिट जायेगा,

नाम उसका हर कहीं;

“सत्यमेव जयते”,

इस राष्ट्र का आधार है;

ध्वज तिरंगा है हमारा,

प्रतीक हमारी एकता।।

 

देश की खातिर निछावर,

प्राण जिनने कर दिये;

याद में उनकी सदा,

हमने जलाए हैं दिये;

कर रहे प्रणाम हम,

उन वीरों को मन प्राण से;

संदेश वो जो दे गये,

हरदम रहे ये एकता।।

 

© सुश्री स्वाति धर्माधिकारी

प्राचार्या, सरस्वती शिशु मंदिर, घमापुर, जबलपुर।

मो. नंबर 9755538215

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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