डॉ निधि जैन 

डॉ निधि जैन जी  भारती विद्यापीठ,अभियांत्रिकी महाविद्यालय, पुणे में सहायक प्रोफेसर हैं। आपने शिक्षण को अपना व्यवसाय चुना किन्तु, एक साहित्यकार बनना एक स्वप्न था। आपकी प्रथम पुस्तक कुछ लम्हे  आपकी इसी अभिरुचि की एक परिणीति है। आपका परिवार, व्यवसाय (अभियांत्रिक विज्ञान में शिक्षण) और साहित्य के मध्य संयोजन अनुकरणीय है। आज प्रस्तुत है  आपकी एक अतिसुन्दर भावप्रवण कविता  “खुशियाँ ”।)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆निधि की कलम से # 23 ☆ 

☆ खुशियाँ 

 

खुशियों की चादर को, यादों के धागों से बनाया.

सपनों के सितारों को, प्यार की रौशनी से सजाया।

 

हर दिन कुछ और रंगों से रंगाया,

हर शाम हसीन फूलों की इत्र में महकाया,

हर पल हँसा और हँसाया,

हर मौसम को रंगीन बनाया,

खुशियों की चादर को, यादों के धागों से बनाया,

सपनों के सितारों को, प्यार की रौशनी से सजाया।

 

यादों ने जीवन को रंगीन बनाया,

ठोकरों ने उसे और भी मजबूत बनाया,

प्यार के आँगन ने जीवन के श्रृंगार को पूरा कराया,

नन्हे बालक ने आकर मातृत्व का बोध कराया,

खुशियों की चादर को, यादों के धागों से बनाया,

सपनों के सितारों को, प्यार की रौशनी से सजाया।

 

यूँ ही ज़िंदगी गुजरी चली जा रही है,

हर खुशी को सब मुकाम समझ लेते हैं,

मुकाम मिलने पर एक और राह ढूंढ लेते हैं,

रास्ते कटते जाते है, मंजिले मिलती जाती हैं,

खुशियों की चादर को, यादों के धागों से बनाया,

सपनों के सितारों को, प्यार की रौशनी से सजाया।

 

खुशियाँ पूरी होती हैं, एक और नई मिल जाती है,

खुशियों की चादर द्रौपदी के चीर सी लंबी होती जाती है,

धीरे-धीरे उम्र कटती जाती है,

खुशियों की चादर का छोर नहीं मिलता,

खुशियों की चादर को, यादों के धागों से बनाया,

सपनों के सितारों को, प्यार की रौशनी से सजाया।

 

चलो इस जीवन इसी पल हम जी लें,

अपने आप को खुशियों की चादर से ढँक लें,

सपनों के सितारों में, और सुख की रौशनी में खो जाना है,

जीवन का खजाना मिट्टी से मिल मिट्टी में मिल जाना हैं

खुशियों की चादर को, यादों के धागों से बनाया,

सपनों के सितारों को, प्यार की रौशनी से सजाया।

 

©  डॉ निधि जैन,

पुणे

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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