श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ 

(हम प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’जी के आभारी हैं जिन्होने  साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक की पुस्तक चर्चा”शीर्षक से यह स्तम्भ लिखने का आग्रह स्वीकारा। श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र जी, अतिरिक्त मुख्यअभियंता सिविल (म प्र पूर्व क्षेत्र विद्युत् वितरण कंपनी, जबलपुर ) में कार्यरत हैं। तकनीकी पृष्ठभूमि के साथ ही उन्हें साहित्यिक अभिरुचि विरासत में मिली है।  उनका कार्यालय, जीवन एवं साहित्य में अद्भुत सामंजस्य अनुकरणीय है। इस स्तम्भ के अंतर्गत हम उनके द्वारा की गई पुस्तक समीक्षाएं/पुस्तक चर्चा आप तक पहुंचाने का प्रयास  करते हैं । आप प्रत्येक मंगलवार को श्री विवेक जी के द्वारा लिखी गई पुस्तक समीक्षाएं पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है  कीर्ति श्रीवास्तव  जी के संपादन में प्रकाशित  पत्रिका साहित्य समीर दस्तक पर श्री विवेक जी की पुस्तक चर्चा । )

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक की पुस्तक चर्चा – # 41 ☆ 

☆ पुस्तक चर्चा – पत्रिका –  साहित्य समीर दस्तक  – संपादक – कीर्ति श्रीवास्तव ☆.

चर्चा में पत्रिका – साहित्य समीर दस्तक

सितंबर अक्टूबर 2020 अंक

संपादक – कीर्ति श्रीवास्तव

२४२, सर्व धर्म कालोनी कोलार रोड भोपाल ४६२०४२

बच्चों को चित्रमय प्रकाशन पसन्द आते हैं।

बच्चो के कोरे मन पर बाल साहित्य वह पटकथा लिखता है, जो भविष्य में उनका व्यक्तित्व व चरित्र गढ़ता है. बच्चो को विशेष रूप से गीत तथा कहानियां व नाटिकायें अधिक पसंद आती हैं. बाल साहित्य रचने के लिये बड़े से बड़े लेखक को बाल मनोविज्ञान को समझते हुये बच्चे के मानसिक स्तर पर उतर कर ही लिखना पड़ता है तभी वह रचना बाल उपयोगी बन पाती है. हिन्दी में जितना कार्य बाल साहित्य पर आवश्यक है उससे बहुत कम मौलिक नया कार्य हो रहा है, पीढ़ीयो से वे ही बाल गीत पाठ्य पुस्तको में चले आ रहे हैं, जबकि वैज्ञानिक सामाजिक परिवर्तनो के साथ नई पीढ़ी का परिवेश बदलता जा रहा है.

साहित्य समीर दस्तक ने  सामाजिक विद्रूपताओं पर केंद्रित विशेषांक सितंबर अक्टूबर 2020 अंक  निकाल कर महत्वपूर्ण कार्य किया है. पत्रिका में किशोर व नन्हे बच्चों के लिए शिक्षाप्रद संदेश देने वाले छंद बद्ध गीत व रचनाएं प्रस्तुत की गई हैं।

पत्रिका किशोर बच्चों के साथ-साथ उनके माता-पिता के लिए भी बहुत ही साहित्यिक सामग्री के साथ प्रस्तुत  गई है।

पिछले कवर पर समीर श्रीवास्तव के दोहे बहुत ही महत्वपूर्ण है उदाहरण देखिए

अंधी दौड़ विकास की शहर हुए बेहाल

अपनापन गुम गया जीना हुआ मुहाल

या

भाईचारा प्यार का मिटे नहीं श्रीमंत

अपना ज्ञान बखान के मिटा रहे कुछ सन्त

 

संस्कार सब हवा हुए सभ्यभी नहीं परिधान

बदन उखाड़े घूमते समझ रहे हैं शान

पत्रिका में विजी श्रीवास्तव का व्यंग हाइवे पर गाय चिंतन, विवेक रंजन का लेख चिड़ियों से दोस्ती, शिक्षाप्रद कहानियां, लयबद्ध गीत, आदि सामग्रियां पठनीय रोचक व मनन योग्य है। सम्पादक जी को लेखकों व पाठकों को बधाई

 

समीक्षात्मक टिप्पणी.. विवेक रंजन श्रीवास्तव 

संयोजक पाठक मंच 

ए १, शिला कुंज, नयागांव, जबलपुर ४८२००८

पुस्तक चर्चा के सम्बन्ध में श्री विवेक रंजन जी की विशेष टिपण्णी :- पठनीयता के अभाव के इस समय मे किताबें बहुत कम संख्या में छप रही हैं, जो छपती भी हैं वो महज विज़िटिंग कार्ड सी बंटती हैं ।  गम्भीर चर्चा नही होती है  । मैं पिछले 2 बरसो से हर हफ्ते अपनी पढ़ी किताब का कंटेंट, परिचय  लिखता हूं, उद्देश यही की किताब की जानकारी अधिकाधिक पाठकों तक पहुंचे जिससे जिस पाठक को रुचि हो उसकी पूरी पुस्तक पढ़ने की उत्सुकता जगे। यह चर्चा मेकलदूत अखबार, ई अभिव्यक्ति व अन्य जगह छपती भी है । जिन लेखकों को रुचि हो वे अपनी किताब मुझे भेज सकते हैं।   – विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘ विनम्र’

 ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

image_print
0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments