डॉ भावना शुक्ल

(डॉ भावना शुक्ल जी  (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान  किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं   “भावना के दोहे । ) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ  # 65– साहित्य निकुंज ☆

☆ भावना के दोहे ☆

करते हैं आराधना,

तुम ईश्वर प्रति रुप।

मन मंदिर में रचे बसे,

हो श्रद्धा स्वरूप।।

 

झर झर कर बह अब रही,

आयु वेग की धार।

संबंधों को जीत लो,

पड़े न कभी दरार।।

 

शब्द शब्द के योग से,

बढ़ा शब्द परिवार।

शब्दों की दुनिया बढ़ी,

हुआ अर्थ भंडार।।

 

झूम झूम के नाचता,

मन मयूर चहुं ओर।

पूरी होती चाह अब,

बचा न कोई छोर।।

 

जीवन में सब कुछ मिला,

मिला सकल संसार।

मन से करते अर्चना,

मिले सभी का प्यार।।

 

© डॉ.भावना शुक्ल

सहसंपादक…प्राची

प्रतीक लॉरेल , C 904, नोएडा सेक्टर – 120,  नोएडा (यू.पी )- 201307

मोब  9278720311 ईमेल : [email protected]

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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