श्री संजय भारद्वाज
(श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही गंभीर लेखन। शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है।साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं। हम आपको प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुँचा रहे हैं। सप्ताह के अन्य दिवसों पर आप उनके मनन चिंतन को संजय दृष्टि के अंतर्गत पढ़ सकते हैं। )
☆ संजय दृष्टि ☆ शब्द- दर-शब्द ☆
शब्दों के ढेर सरीखे
रखे हैं, काया के
कई चोले मेरे सम्मुख,
यह पहनूँ, वो उतारूँ
इसे रखूँ , उसे संवारूँ..?
तुम ढूँढ़ते रहना
चोले का इतिहास
या तलाशना व्याकरण,
परिभाषित करना
चाहे अनुशासित,
अपभ्रंश कहना
या परिष्कृत,
शुद्ध या सम्मिश्रित,
कितना ही घेरना
तलवार चलाना,
ख़त्म नहीं कर पाओगे
शब्दों में छिपा मेरा अस्तित्व!
मेरा वर्तमान चोला
खींच पाए अगर,
तब भी-
हर दूसरे शब्द में,
मैं रहूँगा..,
फिर तीसरे, चौथे,
चार सौवें, चालीस हज़ारवें और असंख्य शब्दों में
बसकर महाकाव्य कहूँगा..,
हाँ, अगर कभी
प्रयत्नपूर्वक
घोंट पाए गला
मेरे शब्द का,
मत मनाना उत्सव
मत करना तुमुल निनाद,
गूँजेगा मौन मेरा
मेरे शब्दों के बाद..,
शापित अश्वत्थामा नहीं
शाश्वत सारस्वत हूँ मैं,
अमृत बन अनुभूति में रहूँगा
शब्द- दर-शब्द बहूँगा..,
मेरे शब्दों के सहारे
जब कभी मुझे
श्रद्धांजलि देना चाहोगे,
झिलमिलाने लगेंगे शब्द मेरे
आयोजन की धारा बदल देंगे,
तुम नाचोगे, हर्ष मनाओगे
भूलकर शोकसभा
मेरे नये जन्म की
बधाइयाँ गाओगे..!
© संजय भारद्वाज
( कविता संग्रह ‘मैं नहीं लिखता कविता।’)
☆ अध्यक्ष– हिंदी आंदोलन परिवार ☆ सदस्य– हिंदी अध्ययन मंडल, पुणे विश्वविद्यालय ☆ संपादक– हम लोग ☆ पूर्व सदस्य– महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ☆ ट्रस्टी- जाणीव, ए होम फॉर सीनियर सिटिजन्स ☆
मोबाइल– 9890122603
रचनाकार की कीर्ति अक्षय रहेगी , केवल चोला बदल सकता है शब्द शक्ति नहीं – लाख कोशिशों के बावजूद मृत्यु भी कुछ बिगाड़ नहीं सकती , शोकसभा भी उत्सव में बदल जाएगी – रचनाकार का आत्मविश्वास कभी उसकी अपनी शब्द शक्ति को क्षीण होते अनुभव नहीं करेगा – चिरायु है शब्द शक्ति , चिरायु रहेगी …….
हृदय से धन्यवाद आदरणीय।
कवि की शब्द शक्ति अजर, अमर है और रहेगी क्योंकि कवि शाश्वत सारस्वत हैं।अतः, वो शब्द दर शब्द बहेंगे। उनकी शोक सभा भी नये जन्म के उल्लास में बदल जायेगी जो कवि के लेखन व कवि को चिर अमरता प्रदान करेगी।