डॉ निधि जैन
( डॉ निधि जैन जी भारती विद्यापीठ,अभियांत्रिकी महाविद्यालय, पुणे में सहायक प्रोफेसर हैं। आपने शिक्षण को अपना व्यवसाय चुना किन्तु, एक साहित्यकार बनना एक स्वप्न था। आपकी प्रथम पुस्तक कुछ लम्हे आपकी इसी अभिरुचि की एक परिणीति है। आपका परिवार, व्यवसाय (अभियांत्रिक विज्ञान में शिक्षण) और साहित्य के मध्य संयोजन अनुकरणीय है। आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण कविता “इक्कीसवी सदी का भारत”।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆निधि की कलम से # 26 ☆
☆ इक्कीसवी सदी का भारत ☆
मैंने सपने में देखा इक्कीसवी सदी का भारत कैसा होगा,
इतिहास में शहीदों के बलिदानों ने सींचा हैं भारत को,
अनेकों लुटेरों ने लूटा हैं भारत को,
अंग्रेजों ने लूटा और अत्याचार से पीड़ित किया था भारत को,
सदियों की पराधीनता को सहना पड़ा हैं भारत को,
मैंने सपने में देखा इक्कीसवी सदी का भारत कैसा होगा,
इतिहास में शहीदों के बलिदानों ने सींचा हैं भारत को।
गाँधी और नेहरु के पदचिन्हों में चलना हैं भारत को,
लाल, बाल, पाल की दृढ़ता को भरना होगा भारत को,
नेताजी के सपनों को पूरा करना हैं भारत को,
रानी लक्ष्मीबाई की हिम्मत को भरना हैं भारत को,
मैंने सपने में देखा इक्कीसवी सदी का भारत कैसा होगा,
इतिहास में शहीदों के बलिदानों ने सींचा हैं भारत को।
विज्ञान एंव कंप्यूटर क्षेत्र में विश्व में सर्वव्यापी होगा,
शिक्षा और ज्ञान के क्षेत्र में भारत विश्व में अद्वितीय होगा,
संस्कारों के क्षेत्र में भारत विश्व में अग्रणी होगा,
हमारी परम्पराएं प्रत्येक भारतवासी के जीवन का मूल्य होगी,
मैंने सपने में देखा इक्कीसवी सदी का भारत कैसा होगा,
इतिहास में शहीदों के बलिदानों ने सींचा हैं भारत को।
वो नवजात शिशु की भाँति कोमल और विकासशील होगा,
वो निरंतर विधिगत एंव विकासमान राष्ट्र होगा,
वो ऐसा वटवृक्ष होगा जिसकी जड़े गहरी होंगी,
वो गौरवशाली परम्पराओं का रस ग्रहण करने के योग्य होगा,
मैंने सपने में देखा इक्कीसवी सदी का भारत कैसा होगा,
इतिहास में शहीदों के बलिदानों ने सींचा हैं भारत को।
आओ इस सपने को पूरा करें हम,
अपने आप को अपने आप से ऊँचा करें हम,
अनेकता में एकता भरें हम,
आओ इस स्वर्ण इतिहास को रत्नमय करने का प्रयास करें हम,
मैंने सपने में देखा इक्कीसवी सदी का भारत कैसा होगा,
इतिहास में शहीदों के बलिदानों ने सींचा हैं भारत को।
© डॉ निधि जैन,
पुणे
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
आशावादी, उत्तम रचना हेतु निधि जी को
अंतस से बघाई।
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