श्रीमद् भगवत गीता
हिंदी पद्यानुवाद – प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
अध्याय 18
( भक्ति सहित कर्मयोग का विषय )
ईश्वरः सर्वभूतानां हृद्देशेऽजुर्न तिष्ठति।
भ्रामयन्सर्वभूतानि यन्त्रारुढानि मायया॥
ईश्वर सबके हृदय में, करता पार्थ ! निवास
यंत्रारूढ से विश्व को, घुमा रहा दिन रात ।।61।।
भावार्थ : हे अर्जुन! शरीर रूप यंत्र में आरूढ़ हुए संपूर्ण प्राणियों को अन्तर्यामी परमेश्वर अपनी माया से उनके कर्मों के अनुसार भ्रमण कराता हुआ सब प्राणियों के हृदय में स्थित है॥61॥
The Lord dwells in the hearts of all beings, O Arjuna, causing all beings, by His illusive power, to revolve as if mounted on a machine!
© प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
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सत्यबचन