सूचना/Information 

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

(पूर्व समाचार निदेशक, दूरदर्शन)

☆ वरिष्ठ नागरिक और कोरोना – “मंगलकामना” – वानप्रस्थ (वरिष्ठ नागरिकों की संस्था) का आयोजन

(‘यह भ्रम न पालें कि आपको कोरोना नहीं होगा’  – डॉ डांग)

कोरोना का सबसे ज़्यादा शिकार हो रहे हिसार के कुछ वरिष्ठ नागरिकों ने इस महामारी से बचने के लिए सामान्य सावधानियों के इलावा अनुभव आधारित जानकारी सांझा करने तथा मनोरंजन व शिक्षाप्रद कार्यक्रमों के जरिए मनोबल बढ़ाने का एक अनूठा प्रयोग शुरू किया है।

वरिष्ठ नागरिकों की संस्था “वानप्रस्थ” के तत्वाधान में वेब गोष्ठी में मंगल कामना कार्यक्रम की शुरुआत की गई है जिसमें कोरोना से लड़ कर स्वस्थ हुए सदस्यों के अनुभव सुने सुनाए जाते हैं और फिर सभी के स्वस्थ लाभ व मनोबल के लिए मंगल कामना की जाती है। आत्म विश्वास, प्यार व सहयोग बढ़ाने के गीत, ग़ज़ल, भजन व हंसी खुशी के कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाते हैं। सभी कुछ ऑनलाइन वेब गोष्ठी जैसा।

पहले मंगल कामना कार्यक्रम में संस्था के महासचिव प्रो जे के डांग ने बीमारी से निजात पाने के अपने अनुभव सुनाए और गोष्ठी में शामिल 35 सदस्यों ने सभी का मनोबल बढ़ाने के उद्देश्य से मनोरंजक कार्यक्रम प्रस्तुत किए।

प्रो डांग ने कहा कि कोरोना महामारी के लगातार प्रसार का मुख्य कारण यह है कि लोग इस भ्रम में रह कर लापरवाही बरत रहे हैं कि उन्हें कुछ नहीं होगा।

उन्होंने कहा कि यह समय बहुत मिलने जुलने का नहीं है और इस बीमारी से बचने का एकमात्र उपाय सावधानी ही है। डॉ डांग ने सभी को सलाह दी कि वे यह सूत्र हमेशा याद रखें कि – “जब तक दवाई नहीं, तब तक ढिलाई नहीं”

उनका कहना था कि मास्क का उपयोग करने और छह फुट दूरी रखने व बार बार हाथ धोने के इलावा दिन में तीन बार भांप का इस्तेमाल अवश्य करें।

डॉ डांग ने बताया कि उनकी बीमारी की वजह भी लापरवाही ही थी। वे सामाजिकता के नाते एक बीमार मित्र का हाल पूछने गए और खुद बीमारी लेकर आ गए। उन्होंने कहा कि त्यौहारों के दौरान बाजारों में उमड़ी भीड़ के कारण ही कोरोना के केस एकदम बढ़ गए हैं।

डॉ डांग ने कहा कि बीमारी के दौरान सकारात्मक सोच बनाए रखना जल्दी ठीक होने में काफी मदद करता है।

कार्यक्रम सवा दो घंटे से ज़्यादा चला और इसमें महामारी काल के दौरान सर्वजन के कल्याण की कामना, मानव प्रेम, विश्वास और सहयोग को उल्लेखित करते विभिन्न विधाओं के कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए। कार्यक्रम का संचालन दूरदर्शन के पूर्व समाचार निदेशक अजीत सिंह ने किया। उन्होंने गबन फिल्म का गीत “अहसान मेरे दिल पे तुम्हारा है दोस्तो” भी पेश किया।

डॉ कमल भाटिया व डॉ राज गर्ग ने “सबका भला करो भगवान” मंगल गान प्रस्तुत किया। कुरुक्षेत्र से ऑनलाइन जुड़े प्रो दिनेश दधीचि ने अपनी शायरी से समा बांध दिया। उनका शेर था, “इन्हे दरकार होती है मुसलसल परवरिश की भी, बनाकर भूल जाने में रिश्ते टूट जाते हैं”।  इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए दिल्ली से जुड़े प्रो जी आर सय्यद ने बैदबाजी की विधा का परिचय देते हुए अंताक्षरी की तरह एक से बढ़ कर एक उम्दा शेर पेश किए और फिर तरन्नुम से एक ग़ज़ल पेश की, “मरने की दुआएं क्यों मांगू जीने की तमन्ना कौन करे”।

गोष्ठी में पुरानी फिल्मों के गीतों का सिलसिला भी खूब चला। पुणे से जुड़ी के एल सहगल संगीत की विदुषी डॉ दीपशिखा पाठक ने “मुझसे पहली सी मोहब्बत मेरे महबूब न मांग” और “मौसम है आशिकाना” की प्रस्तुति से खूब सराहना बटोरी।

गुरुग्राम से जुड़े डॉ आर के सेठी ने “न ये चांद होगा न तारे रहेंगे, मगर हम हमेशा तुम्हारे रहेंगे” की प्रस्तुति दी। प्रो आर के सैनी ने गाया,“तेरी आंखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है“। प्रो योगेश सुनेजा ने “पल पल दिल के पास” और प्रो शाम सुंदर धवन ने “किसी की मुस्कराहटों पे हो निसार” गीत पेश किए। प्रो मीनाक्षी महाजन ने शास्त्रीय संगीत का रंग बिखेरते हुए राग यमन पर आधारित गीत पेश किया, “जब दीप जले आना”

डॉ शशि सरदाना ने कविता पेश की, “अतीत से मैंने सीखा वर्तमान से लड़ना”

प्रो सुरेश चोपड़ा व डी पी ढुल ने हास्य रंग की प्रस्तुतियां दी। प्रो हरीश भाटिया ने गूगल मीट ऐप पर गोष्ठी का तकनीकी संचालन किया।

वरिष्ठ नागरिक अक्सर गाना गाने से कुछ झिझकते हैं पर यह भी सच है कि गाना गाने या कोई भी रचना पेश करने से मानसिक तनाव दूर होता है और गायक को एक आंतरिक खुशी मिलती है। यह कहावत भी सही है कि बुढ़ापे की सबसे बेहतरीन काट कोई रचनात्मक कार्य करना होता है।

 

लेखक:

©  श्री अजीत सिंह

पूर्व समाचार निदेशक, दूरदर्शन

संपर्क: 9466647037

ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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