डॉ कुंवर प्रेमिल
☆ लघुकथा – तीन लघुकथाएं – लड़कियाँ ☆
[1] खब्ती
तुम्हारी पड़ोसन खब्ती है क्या?
क्यों क्या हुआ है?
सुना है उसके यहाँ लड़की हुई है और वह पूरे मुहल्ले में मिठाई बाँट रही है.
[2] खूसट
क्यों, तुम अपनी लड़की को कोचिंग कहाँ से दिला रही हो?
अजीब खूसट हो जी तुम, लड़का नहीं है मेरे पास जो लड़की को कोचिंग दिलाकर फिजूलखर्ची करती रहूंगी.
[3] करमखोटिटयां
पाँच लड़कियों की मां से किसी महिला ने पूछा-बडी जिगर वाली हो बिना, पांच लड़कियां पैदा करने के बाद भी खुश-खुश नजर आ रही हो.
उत्तर में महिला बोली-न न न यह खुशी तो पाँच लड़कियों के बाद पैदा हुए लड़के की है, वरना इन करम खोटिटयों ने तो मुझे जी्ते जी मार डाला था.
© डॉ कुँवर प्रेमिल
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≈ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈