आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

(आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ जी संस्कारधानी जबलपुर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। आपको आपकी बुआ श्री महीयसी महादेवी वर्मा जी से साहित्यिक विधा विरासत में प्राप्त हुई है । आपके द्वारा रचित साहित्य में प्रमुख हैं पुस्तकें- कलम के देव, लोकतंत्र का मकबरा, मीत मेरे, भूकंप के साथ जीना सीखें, समय्जयी साहित्यकार भगवत प्रसाद मिश्रा ‘नियाज़’, काल है संक्रांति का, सड़क पर आदि।  संपादन -८ पुस्तकें ६ पत्रिकाएँ अनेक संकलन। आप प्रत्येक सप्ताeह रविवार को  “साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह” के अंतर्गत आपकी रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत है आचार्य जी  द्वारा रचित  कविता हर विचार का स्वागत …। )

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह # 34☆ 

☆ हर विचार का स्वागत …☆ 

आकर भी तुम आ न सके हो

पाकर भी हम पा न सके हैं

जाकर भी तुम जा न सके हो

करें न शिकवा, हो न शिकायत

*

यही समय की बलिहारी है

घटनाओं की अय्यारी है

हिल-मिलकर हिल-मिल न सके तो

किसे दोष दे, करें बगावत

*

अपने-सपने आते-जाते

नपने खपने साथ निभाते

तपने की बारी आई तो

साये भी कर रहे अदावत

*

जो जैसा है स्वीकारो मन

गीत-छंद नव आकारो मन

लेना-देना रहे बराबर

इतनी ही है मात्र सलाहत

*

हर पल, हर विचार का स्वागत

भुज भेंटो जो दर पर आगत

जो न मिला उसका रोना क्यों?

कुछ पाया है यही गनीमत

 

©  आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

संपर्क: विश्ववाणी हिंदी संस्थान, ४०१ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन, जबलपुर ४८२००१,

चलभाष: ९४२५१८३२४४  ईमेल: [email protected]

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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