सुश्री हरप्रीत कौर
(आज प्रस्तुत है किसानों के दर्द को दर्शाती सुश्री हरप्रीत कौर जी की एक भावप्रवण कविता “किसान”।)
☆ कविता – किसान ☆
अपना घर सबको होता प्यारा
इन जाड़े की रातों मे सड़कों
पर बसेरा नही होता आसान.
अपनी फसल, अपनी मेहनत
का मोल नही उसके हाथ
किन्तु कम से कम जो
मिलता उससे तो ना जाए,
नही माँग उसकी ज्यादा
हक अपना है चाहता
बिल वापसी की बाट वो जोह रहा
ना कोई घर उसने फूंका,
ना दुकानों मे आग लगाई
फिर क्यों वो आतंकवादी कहलाए,
विश्व खडा़ अब उनके साथ
कौन सा प्रमाण पत्र
किसान अपनी तकलीफों का दिखलाए
जिससे ये बिल वापिस हो जाए.
© सुश्री हरप्रीत कौर
कानपुर
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≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
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