महाकवि कालीदास कृत मेघदूतम का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
☆ “मेघदूतम्” श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद # मेघदूत ….पूर्वमेघः ॥१.१७॥ ☆
त्वाम आसारप्रशमितवनोपप्लवं साधु मूर्ध्ना
वक्ष्यत्य अध्वश्रमपरिगतं सानुमान आम्रकूटः
न क्षुद्रो ऽपि प्रथमसुकृतापेक्षया संश्रयाय
प्राप्ते मित्रे भवति विमुखः किं पुनर यस तत्थोच्चैः॥१.१७॥
दावाग्नि शामित सघन वृष्टि से तृप्त
थके तुम पथिक को, सुखद शीशधारी
वहां तंग गिरि आम्रकूट करेगा
परम मित्र, सब भांति सेवा तुम्हारी
संचित विगत पुण्य की प्रेरणावश
अधम भी अतिथि से विमुख न है होता
शरणाभिलाषी, सुहृद आगमन पर
जो फिर उच्च है, बात उनकी भला क्या ?
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈