महाकवि कालीदास कृत मेघदूतम का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
☆ “मेघदूतम्” श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद # मेघदूत ….पूर्वमेघः ॥१.२५॥ ☆
तेषां दिक्षु प्रथितविदिशालक्षणां राजधानीं
गत्वा सद्यः फलम अविकलं कामुकत्वस्य लब्धा
तीरोपान्तस्तनितसुभगं पास्यसि स्वादु यस्मात
सभ्रूभङ्गं मुखम इव पयो वेत्रवत्याश चलोर्मि॥१.२५॥
उसी ओर विदिशा बड़ी राजधानी
पहुंच भोग साधन सकल प्राप्त करके
अधरपान रस सम मधुर जल विमल पी
सुभग तटरवा बेतवा उर्मियों से
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈